होता है मुश्किल दो वक़्त का गुजारा
हड़प लेता है थैलीशाह माल हमारा सारा
काफी है धरती पर जरूरतों के लिए सभी के
नाकाफी है मगर सब लालच के लिए किसीके
बदलने ही होंगे लूट वो नाइंसाफी के हालात
कोई करे फाका और कोई करे अन्न बर्बाद
इन खंडहरों पर तो बनाने ही हैं नये मकान
करना पडडेगा अन्याय से भीषण घमासान
जीतेंगे ही हम क्योंकि हमारे इरादे हैं साफ
चाहते हैं दिलाना मानवता को इंसाफ
(ईमिः03.02.2014)
आशा ही जीवन है !
ReplyDeleteइसीलिए भगाते रहना है निराशो
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