( प्रतिभा केजन्मदिन पर प्रतिमा के सौजन्य से)
छोड़ दिया था कविता लिखना, क्योंकि थीं सब अति-साधाण
जन्मदिन पर लिखूं क्या उसके, है जो इंसान असाधारण
लगाया तुमने अब शब्दों की कंजूसी का अनुचित इल्जाम
करता हूं टूटे-फूटे शब्दों में प्रेमोत्सव पर जन्मी प्रतिभा को सलाम
करता हूं जन्मदिन पर दिल से कामना कि भरो एक ऊँची उड़ान
नतमस्तक हो जायें बिघ्न-बाधाओं के सब आंधी-तूफान
(ईमिः14.02.2014)
(ईमिः14.02.2014)
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