Tuesday, February 4, 2014

वसंत 2

वसंत 2
देखा जब इस वसंत की पहली भोर
हो गया आज कुछ जल्दी अंजोर
सूरज ने उगने का पूर्वाभास दिया
अंधेरों की दुनिया को उदास किया
आम के बौर पर पड़ा जब प्रकाश
सुनहरा हो गया सारा आकाश
घास पर सुबह की जगमगाती धूप
सुनहरी चादर से जैसे तुपा गयी दूब
धूप में सरसों के पीले फूल पड़े मचल
चहचहाती चिड़ियों में मची हलचल
मटमैला चीकू सुनहरा दिखने लगा
पके नीबू से मिलाप करने लगा
हूं मैं नास्तिक व वंचित उत्सवधर्मिता से
मनाता हूं वसंत का पर्व मगर तत्परता से

(ईमिः04.02.2014)

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