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वसंत 1
सुंदर कविता
की चादर चढ़ाकर कर दो और सुंदर धरती
सरसों के फूलों
की खुशबू की मस्ती कभी नहीं भूलती
याद आते हैं
गेहूं-चना-मटर के खेतों की मेड़ों के टेढ़े मेढ़े रास्ते
जाते थे स्कूल
करते हुए बतकुच्चन से मनसायन और खुराफातें
पहला पड़ाव था
मुर्दहिया बाग, खेलते वहां लखनी
या शुटुर्र
करते हुए इंतजार
उन दोस्तों का गांव थे जिनके और भी दूर
पहुंचते ही उन
सबके जुट जाता हम बच्चों का एक बड़ा मज्मा
मिलते और लड़के
अगले गांवों में बढ़ता जाता हमारा कारवां
पहुंचते जमुना
के ताल पर था जो हमारा अगला पड़ाव
उखाड़ते हुए
चना-मटर -लतरा करते पार कई गांव
जलाकर गन्ने की
पत्तियां भूनते थे हम होरहा वहां
और गांवों के
लड़के कर रहे होते पहले से इंतज़ार जहां
गाता-गप्पियाता
चलता जाता था हमारा कारवां
रुका फुलवरिया बाग
में अंतिम पड़ाव होता था जहां
वहां से स्कूल
तक हम सब अच्छे बच्चे बन जाते
रास्ते में
क्योंकि कोई-न-कोई मास्टर दिख जाते
इतनी क्या क्या
बातें करते होंगे उस उम्र के बच्चे
याद नहीं कुछ भी
लेकिन थे नहीं कभी हम चुप रहते.
किसा को भी
मिलता है ज़िंदगी में एक ही बचपन
रमता जब
अमराइयों और सरसों के फूलों में मन
(ईमिः 03.01.2014)
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वसंत 2
देखे हैं अब तक
कितने ही वसंत, यादों की जिनके न आदि है न अंत
याद आ रहे हैं
बहुत आज किशोर वय के बसंत, होते थे मन में भविष्य के सपने अनंत
रमता था मन जब
आम के बौर और ढाक की कलियों में, नीम की मंजरी और मटर की फलियों में
आता वसंत मिलता
ठिठुरती ठंढ से छुटकारा, बच्चे करते समूहगान में मां सरस्वती का जयकारा
निकल शीत के
गर्भ से जब ऋतु वसंत आती, धरती को उम्मीदों की थाती दे जाती
(ईमिः 03.01.2014)
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देखा जब इस वसंत की पहली भोर, हो गया आज कुछ जल्दी
अंजोर
सूरज ने उगने का पूर्वाभास दिया, अंधेरों की दुनिया को
उदास किया
आम के बौर पर पड़ा जब प्रकाश, सुनहरा हो गया सारा
आकाश
घास पर सुबह की जगमगाती धूप, सुनहरी चादर से जैसे
तुपा गयी दूब
धूप में सरसों के पीले फूल पड़े मचल, चहचहाती सनी चिड़ियों
में मची हलचल
मटमैला चीकू सुनहरा दिखने लगा, पके नीबू से मिलाप
करने लगा
हूं मैं नास्तिक व वंचित उत्सवधर्मिता
से, मनाता हूं वसंत का
पर्व मगर तत्परता से
(ईमिः04.02.2014)
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करता हिंदू होने
पर संघी गर्व, मनाता हत्या-बलात्कार का पर्व
है मनु महराज
न्यायविद सबसे बड़ा इनका, वर्णाश्रमी मर्दवाद है अनमोल पैगाम जिनका
पैदा करवाता जो
ब्रह्मा से दो तरह के लोग, कुछ बहायें पसीना कुछ करें भोग
कुछ को माथे और
बाजू से, लैस करके पोथी-तलवार-तराजू से
कुछ को जंघे और
पांव से करवाता पैदा, गुलामी की
बेड़ियां ढोयें जो सर्वदा
जो जन्म की
अस्मिता से उबर नहीं पाता, जीववैज्ञानिक दुर्घटना को इष्ट मानता
पढ़-लिख कर भी
वह जाहिल रह जाता, पूर्वाग्रहों का ज्ञान की खान बतलाता
मानवीय विवेक को
धता बताता, शर्म की बात पर जो गर्व
करता है
बेड़ा इतिहास का
गर्क करता है
[ईमि/06.02.2014]
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कौन है यह कन्या
मगन गहन चिंतन में
करती बेटोक
विचरण ख़यालों के उपवन में?
[ईमि/11.02.2014]
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( प्रतिभा केजन्मदिन पर प्रतिमा के सौजन्य
से)
छोड़ दिया था
कविता लिखना, क्योंकि थीं सब
अति-साधाण
जन्मदिन पर
लिखूं क्या उसके, है जो इंसान
असाधारण
लगाया तुमने अब
शब्दों की कंजूसी का अनुचित इल्जाम
करता हूं
टूटे-फूटे शब्दों में प्रेमोत्सव पर जन्मी प्रतिभा को सलाम
करता हूं
जन्मदिन पर दिल से कामना कि भरो एक ऊँची उड़ान
नतमस्तक हो
जायें बिघ्न-बाधाओं के सब आंधी-तूफान
(ईमिः14.02.2014)
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मंजिलें और भी
हैं इस मंज़िल के बाद
चाहतें और भी
हैं इस चाहत के बाद
खत्म नहीं होता
तहेज़िंदगी चलता है सफर
दीवारें जरूरी
हैं लेकिन बेदर होता नहीं घर
पहुंच अगली
मंजिल पर करो कुछ विश्राम
हो तर-ओ-ताजा
छेड़ो अगला अभियान
सफर ज़िंदगी का
चलता रहेगा तब तक
मानव-मुक्ति का
पैगाम गूंजेगा न जब तक.
(ईमिः23.02.2014)
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अतिविनम्र और अति मृदुभाषी होते हैं जो
मक्कारी व छल-कपट की तिकड़में करते हैं वो.
(ईमिः24.02.2014)
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जो तलाशते हैं सारी महानता अतीत में, भागते हैं दूर मौजूदा संघर्षों से
और करते हैं साज़िश भविष्य के साथ
बेच ज़मीर टाटा और अंबानी को, मचाते शोर बंदेमातरम् का
और सौंपते हैं मुल्क वालमार्ट के हाथ
कहते हैं राष्ट्र करेगा तभी तरक्की, होगी जब संप्रभुता की बिक्री
आयेगा रामराज तभी , खत्म हो जायेंगे जब अल्प संख्यक सभी
बनेगा राष्ट्र तभी महान, बौने बन जायेंगे जब इंसान
तोड़ना है इनकी साज़िशें, खत्म करके आपसी रंजिशें
मुल्क बनेगा तभी महान, मुक्त होगा जब मजदूर-किसान
आयेगा तब नया बिहान, नहीं बनेगा बौना इंसान
(ईमिः 24.02.2014)
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उदितराज और
पासवान के मोदियाने पर
जिन्हें जल्दी
है उन्हें जाने दो
संघी गुमनामी
में समाने दो
जो बचेंगे
थामेंगे वही क्रांति का परचम
टूटेगा ही इन
चिरकुटों से जनता का भ्रम
जागेगा ही एक
दिन बहुजन आवाम
कर देगा बहुजन
धंधेबाजों का काम तमाम
खाक में मिल
जायेंगे सारे मोदी-उदित-पासवान
शुरू करेगा
बहुजन जब जनवादी अभियान
खत्म करेगा
केरपोरेटी राज और जातिवाद
लाएगा शोषण-दमन
से मुक्त नया समाजवाद
(ईमिः25.02.2014)
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