एक हैवानियत दूसरे का औचित्य नहीं साबित करती, गुजरात की हैवनियत अभूतपूर्व है और ज्यादा खतरनाक है क्योंकि यह चुनावी फायदे के लिये फासीवादी ढंग से सरकार द्वारा प्रायोजित था जिसने अमानवीय जनसंहार और सामूहिक बलात्कार के प्रायोजक मोदी जैसे हैवान को प्रधानमंत्री पद का दावेदार बना दिया जिसे फांसी के फंदे का दावेदार होना चाहिये था. आपको तो यह भी नहीं मालुम कि नक्सलबाड़ी के कई दावेदारों में माओवादी सिर्फ एक हैं. कम्युनिष्ट महज आत्म रक्षा में हिंसा अपनाता है. मोदी के मौसेरे भाई रमन सिंह के राज में लाखों आदिवासियों को बेघर कर दिया गया और कितनी सोनी सोरिओं को अमानवीय यातनाओं का सामना करना पड़ रहा है, कितना बलात्कार और कितनी हत्यायें हुईं. माओवादियों से हमारे बहुत मतभेद हैं लेकिन हम उन्हें क्रानतिकारी मानते हैं, उन्होने उन्ही पुलिसियों की हत्या किया जो कारपोरेटी दलाल सरकारों के् आदेश से आदिवासियों की जमीनें कब्जाने के लिये उन्हे मारने गए थे. कैरियर छोड़ सर पर कफन बांध कर निकलने वाला क्रांतिकारी हैवान नहीं होता, मोदी से क्रूर बलात्कारी हत्यारो से उनकी तुलना नहीं की जा सकती.
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क्या बात वाह!
ReplyDeleteयह दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों के एक मंच पर मेरी एक पोस्ट पर एक संघी के कमेंट पर कमेंट है.
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