Wednesday, August 28, 2013

कैमूर की तराई में सामंती तांडव

Janhastakshep
Campaign against Fascist Designs
17 B, University Road, Delhi-- 11007

Press Release

कैमूर की तराई में सामंती तांडव
१५ अगस्त २०१३ को कैमूर की शांत तराई में सामंती तांडव में एक ८० वर्षीय दलित की ह्त्या हो गयी और ५४ लोग घायल हो गए. जनहस्तक्षेप, नई दिल्ली की एक टीम घटना की सही जानकारी हासिल करने के लिए घटनास्थल गयी. टीम के सदस्यों ने सम्बंधित गावों –६५-७0 घरों वाले दलित बहुल डंडवा और लगभग ३५० घरों वाले सवर्ण बहुल बड्डी -- के सम्बंधित पक्षों; पुलिस उपाधीक्षक(सासाराम मंडल) और थाना प्रभारी(बड्डी) से मुलाक़ात की एवं रोहतास के पुलिस अधीक्षक, एवं जिलाधीश से फोन पर बात की. 
                    
कैमूर की तराई में स्थित इन गावों के प्रवेश के तिराहे पर दाईं  तरफ १८५७ के शहीद निशान सिंह के नाम पर लगभग ४ एकड़ जमीन में एक इंटर कालेज है, जिसमें निशान सिंह की कोई प्रतिमा नहीं है और बाईं ओर लगभग २ कट्ठे जमीन में संत रविदास का एक मंदिर तथा रैदसिया संगठन का छोटा सा सामुदायिक भवन है. टीम ने देखा की रैदास की प्रतिमा का एक हाथ टूटा हुआ है और सर एवं अन्य भागों पर तोड़-फोड़ के निशाँ हैं. मंदिर की छत और दीवारें तथा सामुदायिक भवन तोड़-फोड़ और आगजनी की गवाही दे रहे थे. डंडवा निवासी, रैदसिया संगठन के जिला अध्यक्ष काशीनाथ राम ने बताया कि घटना में मंदिर और सामुदायिक भवन को भारी क्षति पहुँची. बड्डी गाँव के राजपूत नेता राजाराम सिंह के अनुसार मंदिर और संत रैदास की प्रतिमा को क्षति सवर्णों को फंसाने के लिए दलितों ने खुद पहुंचाई. राजाराम सिंह ने बताया कि घटना के बाद दलितों ने बड्डी गाँव में घुसकर अवकाश-प्राप्त शिक्षक रामजी सिंह को पीटा और धारदार हथियारों से उन पर वार किया. लेकिन टीम के सदस्य जब गाँव के बीचो-बीच स्थित रामजी सिंह के घर पहुंचे तो देखा कि रामजी सिंह के एक हाथ में छोटी सी पट्टी बंधी थी. उनकी पत्नी ने बताया कि सवतंत्रता दिवस पर अपने पुराने स्कूल में झंडोत्तोलन के लिए जाते समय रैदास मंदिर के पास कुछ लोगों ने उनपर हंसियों एवं डंडों से हमला किया. राजपूतों के पास इस बात का कोई सतोषजनक जवाब नहीं था कि २३ लाइसेंसी बंदूकों वाले ३५० घरों से अधिक आबादी वाले गाँव में घुसकर ६०-६५ परिवारों की आबादी वाले दलित कैसे मार-पीट कर सकते थे. दिलचस्प बात यह है कि राजाराम सिंह और अन्य सवर्णों ने दावा किया कि अगर कैमूर की पहाड़ियों से हजार माओवादी भी गाँव में घुस आयें तो बड्डी के २० लोग ही उनसे निपटने में सक्षम हैं. राजाराम सिंह ने शिकायत की कि घटना के बाद पुलिस और प्रशासन सवर्णों के विरुद्ध पूर्वाग्रहों से ग्रस्त होकर कार्रवाई कर रहा है. उन्होंने केवल निलंबित थाना प्रभारी बलवंत सिंह की निष्पक्षता का दावा किया. गौरतलब है कि मारपीट और आगजनी की यह घटना बलवंत सिंह और उनकी पुलिस टीम की मौजूदगी में हुई.हमलावर  भीड़ आखिरकार तब तितर-बितर हुई जब कर्रीब आधे घंटे बाद पुलिस अधीक्षक विकास वर्मन की अगुवाई में दूसरी पुलिस टीम वहां पहुँची.पुलिस अधीक्षक ने बात-चीत में बताया कि बलवंत सिंह को ड्यूटी में लापरावाही बरतने के लिए निलंबित किया गया. पुलिस उपाधीक्षक, आशीष आनंद और जिलाधीश संदीप कुमार दोनों ने ही जनहस्तक्षेप की टीम को बताया कि बड्डी गाँव के जिन २३ लोगों के पास बंदूकों के लाइसेंस हैं उनमे से २० लाइसेंस निलंबित किये जा चुके हैं और नामजद हमलावरों की धर-पकड़ के लिया विभिन्न जगहों पर दबिश दी जा रही है. पुलिस अधीक्षक ने बताया कि ११ गिरफ्तारियां हो चुकी हैं और अन्य अभियुक्तों की धर-पकड़ के लिए यदि जरूरी हुआ तो कुर्की का आदेश भी जारी किया जाएगा.

1.      इस विवाद का मुख्य कारण सवर्णों की वह सामन्ती  मानसिकता है जिसे गाँव के प्रवेशद्वार पर दलित संत रैदास की प्रतिमा स्वीकार्य नहीं है. इसी मानसिकता के तहत उन्होंने एक सामाजिक  प्रतीक के सामने एक राष्ट्रीय प्रतीक, निशान सिंह की प्रतिमा को खड़ा करने की कोशस की वरना अगर सवर्ण समाज को १८५७ के शहीद निशान सिंह की स्मृति की इतनी ही परवाह होती तो ४ एकड़ की जमीन पर एक दशक से अधिक समय से मौजूद इंटर कालेज में उनकी प्रतिमा स्थापित की जा चुकी होती.
2.      सवर्णों को रैदास मंदिर परिसर में निशान सिंह का स्मारक बनाने की याद तब आई जब मंदिर में रैदास की तस्वीर हटाकर करीब दो महीने पहले उसकी जगह प्रतिमा स्थापित की गई और रैदसिया समाज ने मंदिर की जमीन के मालिकाना हक के लिए अनापत्ति-प्रमाणपत्र हासिल कर लिया. अनापत्ति प्रमाणपत्र की बात की तस्दीक अनुमंडल अधिकारी नलिन कुमार ने भी की.
3.       पहले से ही गाँव में तनाव को देखते हुए १४ अगस्त को  बड्डी थाने में दोनों पक्षों में समझौता हुआ था कि दोनों पक्ष थाना परिसर पहुंचेंगे और वहां से थाना प्रभारी के साथ मंदिर परिसर जाकर साथ-साथ झंडा फहराएंगे. लेकिन इस समझौते को दरकिनार कर सवर्णों की डंडों-छड़ों से लैस भीड़ सीधे मंदिर परिसर पहुँच गई और वहां निशान सिंह की प्रतिमा स्थापित करने और झंडा फहराने का प्रयास किया. उन्होंने विरोध करने पर मंदिर और दलितों पर हल्ला बोल दिया.
4.      इस हमले की अगुवाई कुछ ही देर में सेवा-निवृत्त स्वास्थ्य अधिकारी शंभू सिंह और उनके परिजनों ने ले ली जो घटना के बाद से ही फरार चल रहे हैं  
5.      पुलिस बल की उपस्थिति से स्थिति अब नियंत्रण में है लेकिन दोनों पक्षों में तनाव बना हुआ है.
6.      शासक दलों  के प्रतिनिधि दोनों ही पक्षों को बरगला कर तनाव को और बढाने की कोशिश कर रहे हैं. एक तरफ  जेल में बंद बाहुबली आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद और कुछ राजनैतिक दल  सवर्णों के साथ बैठके करके आग को हवा दे रहे हैं वहीं दलितों के नाम पर राजनीति करने वाले कुछ लोग और संगठन जातीय आधार पर दलितों को उकसा रहे हैं.

टीम की संस्तुति

1.      तनाव को देखते हुए हमारा मानना है कि गाँव में सामंजस्य बनाने के  लिए सरकार को चाहिए कि स्कूल परिसर में देशभक्त, शहीद निशान सिंह का स्मारक बनाए और क्षतिग्रस्त रैदास मंदिर की मरम्मत कराये.
2.      सरकार भूमिहीन दलितों की सुरक्षा सुनिश्चित करे. चूंकि सवर्णों को ऐसा कोइ खतरा नहीं है इस लिए आग्नेयास्त्रों के सारे लाइसेंस रद्द करे और बंदूकें जब्त करे.
3.     राजनैतिक दलों द्वारा चुनावी लाभ के लिए जातीय विद्वेष बढाने की साजिशों पर सरकार प्रभावी अंकुश लगाए.


राजेश कुमार,पत्रकार         

प्रोफ़ेसर ईश मिश्र, दिल्ली विश्वविद्यालय    

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