बिलकुल आयातित है, हिटलर और मुसोलिनी से. गुरू गोलवलकर ने तो हिटलर को नस्लीय शुद्धता का आदर्श बताते हुए साफ़ लिखा है कि "हिंदुओं को हिटलर का अनुशरण करना चाहिए. उनकी पोशाक हिटलर के फासीवादी गुंडा फौज और हिटलर के नाजी गिरोह की साझी विरासत है. कुछ लोगों पर मार्क्स का भूत ऐसा सवार रहता है कि कुछ भी मुद्दा हो उन्हें मार्क्स का भूत सताने लगता है, यदि मार्क्स को पढ़ भी लें तो ऐसा नहीं होगा. मित्र विभास, मैं एक स्वघोषित मार्क्सवादी हूँ. आयात-निर्यात माल का होता है विचारों का नहीं. वे अपने संवेग से विश्व भ्रमण करते हैं और गतिहीन होने पर विदा हो जाते हैं. गांधीवाद पर विश्व की ज्यादातर विश्वविद्यालयों में विभाग हैं. विचार ओं के डगम स्थान की बजाय उनके गुणवत्ता पर बात हो तो सार्थास्क विमर्श हो सकता है.
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