बातें विचार-मुक्त तथ्य की
है व्याख्या अर्ध सत्य की
वस्तु से ही निकलते हैं विचार
करता नहीं इससे इंकार
किंतु वस्तु है सच्चाई अधूरी
विचारों से मिलकर होती है पूरी
कला के लिये कला की बात
है महज एक बौद्धिक खुरापात
होते जब भी विचार प्रखर
चलते हैं साथ भाषा-शैली लेकर
द्वंद्वात्मक एकता विचार और कला की
मानदंड है कविता की सार्थकता की
सर्वविदित है अब यह बात
कला के लिये कला है अपराध
[ईमि/२४.०८.२०१३]
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