इश्क पर मुकदमा क्या बात कही
हुस्न वालों की फ़रियाद नहीं
आशिकी गढ़ती है हुस्न की नयी परिभाषा
मत करों किसी मानक सौन्दर्य की आशा
हुस्न को पकड़ा नहीं जा सकता
अमूर्त अवधारण को जकड़ा नहीं जा सकता
आओ करा दें समझौता इश्क-ओ-हुस्न में
मदमस्त रहें दोनों अपनी अपनी धुन में
[ईमि/१२.०८.२०१३].
हुस्न वालों की फ़रियाद नहीं
आशिकी गढ़ती है हुस्न की नयी परिभाषा
मत करों किसी मानक सौन्दर्य की आशा
हुस्न को पकड़ा नहीं जा सकता
अमूर्त अवधारण को जकड़ा नहीं जा सकता
आओ करा दें समझौता इश्क-ओ-हुस्न में
मदमस्त रहें दोनों अपनी अपनी धुन में
[ईमि/१२.०८.२०१३].
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