Tuesday, August 20, 2013

भूमंडलीय गाँव

गया अब दादी-नानी के किस्सों का ज़माना
गाँव-कुनबों की छोटी दुनिया का फसाना
गाना है अब वसुधैव कुटुम्बकम का तराना
दुनिया को है एक भूमंडलीय गाँव बनाना
करना होगा खत्म छोटे-छोटे गाँव
बनेगी धरती तभी तो विशाल कार्पोरेटी  गाँव
होगा ऐसे गाँव में किसान-कारीगर का क्या काम
बारूदी मशीने बोलेंगी जय श्रीराम
खेतों में  उगेगी डालर और यूरो की फसल
दाल-रोटी हो जायेगी घरों से बेदखल
वाल-मार्ट  होगा  इस गाँव का किरानी
कृपा से उसकी मिलेगा सभी को रोटी-पानी
सम्हालेगा बचपन-बुढापा नदारत जवानी
[ईमि/२१.०८.२०१३]

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