Thursday, October 4, 2012

जनवाद की आंधी


जनवाद की आंधी
ईश मिश्र 
यह जनता है सब जानती है
जनतंत्र को जनविहीन मानती है
 प्लेटो की रिपब्लिक से पब्लिक है नदारत 
इस जनतंत्र में होते  है सामंती इबादत
आज़ाद है जनता चुनने को मया या मुलायम
नहीं भी चुने तभी भी  इन्ही का राज कायम 
आज़ादी है इसमें पूंजीवादी लूट की
और नेताओं की दलाली की छूट की
बिकते हैं सांसद और मंत्री  यहाँ 
जब यह जनता चेतेगी 
पूंजी के दलालों को खेदेगी
आयेगी तब जनवाद की आंधी
उड़ जायेंगे सब नकली गांधी

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