जनवाद की आंधी
ईश मिश्र
ईश मिश्र
यह जनता है सब जानती है
जनतंत्र को जनविहीन मानती है
प्लेटो की रिपब्लिक से पब्लिक है नदारत
इस जनतंत्र में होते है सामंती इबादत
आज़ाद है जनता चुनने को मया या मुलायम
नहीं भी चुने तभी भी इन्ही का राज कायम
आज़ादी है इसमें पूंजीवादी लूट की
और नेताओं की दलाली की छूट की
बिकते हैं सांसद और मंत्री यहाँ
जब यह जनता चेतेगी
पूंजी के दलालों को खेदेगी
आयेगी तब जनवाद की आंधी
उड़ जायेंगे सब नकली गांधी
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