Tuesday, October 16, 2012

तन्हाई

तन्हाई
ईश मिश्र 

हो जब भी तन्हाई का शिकार आदमी
बन जाए थोड़ा सा होशियार आदमी
तन्हाई को बना ले एकान्त आदमी
और एकांत को बना ले औजार आदमी
करे आदमी के दुःख-दर्द पर विचार आदमी
सोचे उसका कारगर उपचार आदमी
कर सके जिससे मानवता का प्रचार आदमी
करे आत्मावलोकन, चिंतन-मनन आदमी
पढ़े-लिखे कथा वृत्तांत आदमी
सोचे करने को दुःख-दर्द का अंत आदमी
खत्म कर सकता है शोषण का आलम आदमी
जुडेंगे इस अभियान से तमाम आदमी
करने को तो कर सकता है इन्किलाब आदमी
आदमियों से कर ले गर सरोकार आदमी

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