लहर
ईश मिश्र
१
ईश मिश्र
१
नामुमकिन है उमडती लहरों का रोक पाना
बेहतर उनके साथ सामंजस्य बैठाना
२
लहरों को रोकना, है असाध्य को साधना
है यह उनकी उन्मुक्त प्रकृति की अवमानना
कितने ही जीवों का श्रोत है इनकी आज़ादी
तह में हैं इनके कितने ही कीमती मोती
साधो निशाना असम्भव पर जरूर
क्योंकि है वह महज एक अमूर्त फितूर
लहरों से मत करो मगर छेड़खानी
ऐसा करना है महज नादानी
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