Sunday, October 28, 2012

बहुत बुरी औरत हूँ मैं

बहुत बुरी औरत हूँ मैं 
ईश मिश्र 

बहुत बुरी औरत हूँ मैं
सिगरेट शराब तो पीती ही हूँ
सारे संस्कारों को ताक पर रखकर
वह सब करती हूँ
जो एक औरत को नहीं करना चाहिए
बुरी औरत हूँ सहती नहीं
पलटवार करती हूँ
मर्दवाद को तड़ी पार करती हूँ
माँ ने जो-जो बताया था
एक अच्छी लड़की के सद्गुण
लगते हैं मुझे वे समाज के दुर्गुण
किया था जब मैंने शादी से इनकार का ऐलान
हो गया था सारा गाँव बहुत हैरान
टूट पड़ा था जैसे कोई आसमान
सुन् लड़की से लड़की के प्यार के अरमान
बहुत बुरी लड़की हूँ में
काश! हो सकती थोडी और बुरी
तोड़ सकती मर्दवाद के पहिये की धुरी

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