हिरोशिमा-नागाशाकी
ईश मिश्र
ईश मिश्र
हिरोशिमा नागाशाकी दो शहर थे
जहाँ हाड मानस के इंसान रहते थे
आया वहाँ एक हैवान
बनाया दोनों शहरों को वीरान
जहाँ हाड मानस के इंसान रहते थे
आया वहाँ एक हैवान
बनाया दोनों शहरों को वीरान
सही इंसानों ने इतनी यातनाएं
कि हैं वहाँ अब विकिरण-ग्रस्त प्रेत आत्माएं
क्यों हैं सभ्यता की यह यह दुखद कहानी
इंसानियत को दागदार बबाते रहे हैं राजा-रानी
जैसे जैसे मानव-इतिहास का कारवां बढ़ता रहा
निरंतर नए नए अन्वेषण इंसान करता रहा
काफी आगे बढ़ चुका था जब ज्ञान-विज्ञान
कणों के बिघटन के रहस्य का हुआ ज्ञान
तब तक जिससे था अनभिज्ञ इंसान
नाम दिया इसको परमाणु-विज्ञान
जब भी पढता हूँ ज्ञान-विज्ञान का इतिहास
उल्लसित होते-होते हो जाता हूँ उदास
जब भी इंसान नयी खोज करता है
औजार से पहले हथियार बनाता है
करता है फिर बर्बरता से रक्तपात
रोती है मानवता सहती चुपचाप
रूसो विज्ञान को अभिशाप मानते थे
नैतिकता के विरुद्ध इसे पाप मानते थे
रूसो की यह बात नहीं है सही
कमी इसान की है विज्ञान की नही
नहीं था तब तक परमाणु-बम के खतरे का शोर
जंग में मशगूल थे जब साम्राज्यवादी जंगखोर
खत्म हो चुका था विनाशकारी महायुद्ध
अमरीका को मिल गया तभी परमाणु आयुध
मर मिटे थे आपस में वर्चस्व के पुराने दावेदार
अमरीका ने ठाना बनने को नया सूबेदार
हासिल कर चुका था जो परमाणु हथियार
जिसका आतंक बना इस ऐलान का औजार
यूरोप को इसने नहीं छुआ
यूरोप को इसने नहीं छुआ
जापान इसका पहला शिकार हुआ
खत्म हो गया था जब जंग-ए-जूनून
लोगों में था थोड़ा सकून
लोगों में था थोड़ा सकून
तभी आसमां में कुछ चमका
झंझावात सा कुछ धमका
झंझावात सा कुछ धमका
पूंजीवाद का है निजाम दोगला
कथनी-करनी का अंतर्विरोध इसका है चोचला
कथनी-करनी का अंतर्विरोध इसका है चोचला
करता है नाश तमाम पीढ़ियों का
नाम रखता है लिटिल ब्यॉय और फैट मैन सर्वनाशी बमों का
आइये छेड़ते हैं जंगखोरी के खिलाफ एक जंग
लाएंगी हमारी कोशिसें कभी-न-कभी रंग
नाम रखता है लिटिल ब्यॉय और फैट मैन सर्वनाशी बमों का
आइये छेड़ते हैं जंगखोरी के खिलाफ एक जंग
लाएंगी हमारी कोशिसें कभी-न-कभी रंग
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