सत्योत्तर युग में
सत्योत्तर युग में
कुछ नहीं होना ही
सब कुछ होना होता है
और कुछ भी होना कुछ नहीं
निरर्थक माना जाता है निर्माण
और विध्वंश निर्माण होता है
यानि नया अर्थ अख्तियार करते हैं
जाने-पहचाने शब्द
निर्माण का मतब विध्वंश हो जाता है
और विनाश का विकास
पुनर्लेखन के नाम पर
विकृत किया जाता है इतिहास
और जो कभी नहीं हुआ होता
वह इतिहास बन जाता है
सत्योत्तर युग में
कुछ नहीं होना ही
सब कुछ होना होता है
(ईमि: 04.02.2024)
कुछ नहीं होना ही
सब कुछ होना होता है
और कुछ भी होना कुछ नहीं
निरर्थक माना जाता है निर्माण
और विध्वंश निर्माण होता है
यानि नया अर्थ अख्तियार करते हैं
जाने-पहचाने शब्द
निर्माण का मतब विध्वंश हो जाता है
और विनाश का विकास
पुनर्लेखन के नाम पर
विकृत किया जाता है इतिहास
और जो कभी नहीं हुआ होता
वह इतिहास बन जाता है
सत्योत्तर युग में
कुछ नहीं होना ही
सब कुछ होना होता है
(ईमि: 04.02.2024)
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