साफ दिल से थोड़ी दूर साथ चलने से
साफ दिल से थोड़ी दूर साथ चलने से
अजनबी अजनबी नहीं रहता अंतरात्मा की आवाज पर
इंसानियत की खिदमत में
हमसफर बन जाता है
साथ चलते चलते
हमसफरी में निखार आता रहता है
मंजर नायाब दिखने लगते है
और इंकलाब मंजिल बन जाता है।
(ईमि: 07.02.2024)
No comments:
Post a Comment