आलस्य में मेज पर बैठे-बैठे ब्लैकबोर्ड का इस्तेमाल। पोलिटिकल इकॉनमी की क्सास थी।
इस तस्वीरपर पर एक मित्र (रिटायर्ड प्रिंसिपल) ने मेज पर बैठकर गणित पढ़ाने वाले अपने विद्यालय के एक बुरे शिक्षक का जिक्र किया, उस पर अपना बचावमैं तो जब गणित पढ़ाता था, तब खड़ा ही रहता था, क्योंकि गणित में लगातार ब्लैक बोर्ड का काम होता था। यह पोलिकल इकोनॉमी की क्लास थी, यह फाइनल यीयर में एक ऑप्सनल कोर्सहोता था, बहुत कम छात्र यह कोर्स ऑप्ट करते थे। मेज पर बैठकर उन्हें Rise and Growth of Capitalism पढ़ा रहा था, बीच में मुद्रा के पूंजी में तब्दीली समझाने के लिए C-M-C सर्किट के M-C-M ( C is commodity; M, money) Circuit में तब्दीली का डाइग्राम बनाना था। बोलने का प्रवाह बरकरार रखने के लिए, हाथ पहुंचने की दूरी पर ब्लैक बोर्ड था तो गर्दन थोड़ा मोड़ कर बैठे-बैठे ही डाइग्राम बना दिया। पहली सर्किट में एक उत्पादक ( मान लीजिए मुर्गी पालक) अपनी अन्य जरूरतों (मान लीजिए गेंहूं), एक मुर्गी लेकर बाजार जाता है और उसे बाजार भाव पर (मान लीजिए 100 रु) में एक व्यापारी को बेच देता है और दूसरी दुकान से बाजार भाव पर (मान लीजिए 25 रु किलो) में 4 किलो गेंहूं खरीद लेता है। यही गेंह का उत्पादक भी करता है, गेंहू बेचकर जरूरत की दूसरी चीजें खरीदता है। पैसा उसके पास टिका नही। एक हाथ से आया और दूूसरे हाथ से चला गया। पैसा दो उत्पादों के बीच बिचौलिए का काम करता है। और व्यापारी दो उत्पादकों का बिचौलिया। M-C-M Circuit में मामला उलट जाता है। एक व्यापारी कुछ पैसै( M )लेकर जाता है और सामग्री C (कच्चा माल और श्रमशक्ति) खीदता है और श्रम के इस्तेमाल से C को C' में तब्दील कर देता है जिसे M' में बेचकर M'--M मुनाफा कमाता है। यह मुनाफा उत्पादन प्रक्रिया में मजदूरों के मेहनाताना से अधिक श्रम शक्ति (surplus labour) का उत्पाद जिसे हड़पकर व्यापारी दो उत्पादकों के बिचौलिए की भूमिका से निकल कर पूंजीपति बन जाता है और पैसा दो उत्पादों के बिचौलिए की भूमिका से निकलकर पूंजी।
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