एक मित्र ने चने के खेत की एक तस्वीर शेयर किया, उस पर कमेंंट:
पहले हमारे यहां चने की खेती अधिक होती थी, पानी न आड़ पाने वाले नदी की कछार के ढलान वाले और ऊबड़-खाबड़ खेतों में भी खूब हो जाता था। हम लोग लगभग रोज ही ही किसी-न-किसी खेत से उखाड़कर, गन्ने की पत्ती की आग में भूंन कर होरहा खाते थे। होरहा के लिए किसी के भी खेत से छोड़ा सा चना उखाड़ने को चोरी नहीं माना जाता था। अब तो लोगों ने चने की खेती बहुत कम कर दिया है। शायद व्यापारिरक दृष्टि से अलाभकाररी हो गया होगा।
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