Thursday, February 1, 2024

मार्क्सवाद 297 (नवब्राह्मणवाद)

 एक पोस्ट पर एक कमेंट


मैंने तो 12-13 साल की उम्र में जनेऊ तोड़कर बाभन से इंसान बनना शुरू कर दिया, लेकिन कई लोग कई बार, बातों का तार्किक जवाब न होने से मेरी बात में ब्राह्मणवाद ढूंढ़ लेते हैं। अहिर या भुँइहार से इंसान बनना उतना ही जरूरी है, जितना बाभन से इंसान बनना। ब्राह्मणवाद का मूलमंत्र है, जन्म के आधार परव्यक्तितव का मूल्यांकन, ऐसा करने वाला जन्मना अब्राह्मण ब्राह्मणवाद की पूरक नवब्राह्मणवाद विचारधारा का पोषक है। सामाजिक चेतना के जनवादीकरण में दोनों ही एकसमान गतिरोधक हैं। जातिवाद की समस्या का समाधान जवाबी जातिवाद नहीं, है, जाति का विनाश है, जो कि डॉ. अंबेडकर की किताब का शार्षक है। असमानता का समाधाम जाबी असमानत नहीं, समानता है।

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