जिस तरह इस्लामी कट्टरपंथ के विरोध के लिए तस्लीमा नसरीन को तालिबानी किस्म के जेहादियों की बर्बरता का सामना करना पड़ा है उसी तरह हिंदुत्व कट्टरपंथ के विरोध के लिए दाभोल्कर, पंसारे, कलबुर्गी, गौरी लंकेश को बजरंगी किस्मके जेहादियों की र्बरता का सामना पड़ा। तस्लीमा ने तो तालिबानी जेहादियों से भागकर जान बचाई लेकिन दाभोल्कर, पंसारे, कलबुर्गी, गौरी लंकेश भागे नहीं तथा बजरंगी जेहादियों ने उनको मार डाला। हर तरह के कट्टरपंथी एकसमान अमानवीय और बेहया होते हैं। एक तरह के कट्टरपंथ का विरोध और दूसरे तरह के कट्टरपंथ का समर्थन नैतिक दोगलेपन का परिचायक है।
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