एक वर्ग विभाजित समाज में निष्पक्षता एक फरेब है। विभाजित समाज में व्यक्तित्व भी 'स्व के स्वार्थबोध' और 'स्व के परमार्थबोध' में विभाजित होता है। मैं स्व के स्वार्थबोध पर स्व के परमार्थबोध को तरजीह देने का पक्षधर हूं इसीलिए मर्दवाद के विरुद्ध स्त्री अधिकारों का पक्षधर हूं; ब्राह्मणवाद (जातिवाद) के विरुद्ध जातीय समानता का पक्षधर हूं; .....बौद्धिक श्रमशक्ति बेचकर रोजी कमाने वाला मजदूर हूं, इसलिए शोषण के विरुद्ध मजदूरों के अधिकार और वर्गहित का पक्षधर हूं; कुल मिलाकर अन्याय के विरुद्ध न्याय का पक्षधर हूं। विभाजन रेखा खिंची हुई है, आपको अपना पक्ष चुनना है।
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