एक मित्र ने कहा कि उनके कोई मित्र लखनऊ में इमामबाड़ा के हिंदू मंदिर के होने के लिए याचिका दाखिल करने वाले हैं और कि अंदर कई जगह उन लोगों ने निशान खोजा है और कहा कि मैं जामा मस्जिद के पीछे पड़ू। उस पर --
हर युग का शासकवर्ग अपने आंतरिक, कृतृम या मंदिर मस्जिद जैसे गौड़ अंतर्विरोधों को उछालकर मुख्य (आर्थिक) अंतर्विरोध की धार कुंद करने की कोशिस करता है जिससे जनता अंधभक्त बन बिना चूं किए पेट पर लात प्रसाद समझ कर खाती रहे। हम शासक वर्गों की जनता के विरुद्ध इस साजिश में शामिल होने की बजाय जनता को पेट पर लात मारने वाले शासकवर्ग लके विरुद्ध जागृत करने का प्रयास करेंगे। आप अपने शासक आकाओं की सेवा में लोगों को भजन सुनाकर मदहोश कर प्रसाद समझ पेट पर खाते रहने के लिए भ्रमित करने का अभियान जारी रखें, हम उसे नाकाम करने की खोशिस करते रहेंगे।
Thursday, May 26, 2022
मार्क्सवाद 264 (मंदिर-मस्जिद)
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment