Saturday, July 30, 2011

नए की जीत

Uaday Prakash, the known Hindi writer who was awarded with the Bharat Bhushan award for his poem, Tibet, in 1980, is the judge for this award in 2011. He had posted a statement regarding that and this was my comment.


उदय जी!
इतिहास की गति के द्वंदात्मक नियमों को तस्दीक करते हुए उम्मीदवार से निर्णायक तक की आपकी यात्रा पर गया में बधाई देना चाहता था लेकिन कवितानुमा कुछ लिखा गया. लेकिन अब तो आप फैसला सीलबंद कर चुके हैं. हा-हा-हा --....
नए की जीत
कल तक उम्मीदवार था आज बन गया निर्णायक
चुनूंगा वही कविता हो जो पुरस्कार लायक
बहुत सी कवितायें गूँज रही हैं मन में
मचाती नहीं उथल-पुथल कोई भी जीवन में
दिखाई दी तभी यह एक दलित लड़की की कहानी
संघर्ष और संत्रास ने मिटा दिए खयालात रूमानी
बाकी कवितायें बयान थीं एक लड़की से प्यार की
या फिर अमूर्त सबा और फसल-ए- बहार की
चुन लिया मैंने उस लड़की के संत्रास की कविता
ज़िंदगी में छाई थी जिसके घनघोर काली सविता
हदें सारी पार कर गया जब अत्याचार
उठाया उसने तब कलम मच गया हाहाकार
बनाया नहीं कलम को उसने सिर्फ एक औजार
बन गया कलम एक ताकतवर हथियार
देख यह अनहोनी तिलमिलाया ज्ञान का हठ
चरमराने लगा उसका किलेबंद मठ
है यह जंग इस बार आर-पार का
नयी उमंगो से पुराने जर्जर विचार का
अभी तक रही है इतिहास की यही रीत
पुराने पर होती आयी है नए की जीत.

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