आज़ाद केजन्मदिन पर
ईश मिश्र
इन्किलाब जिंदाबाद -जिंदाबाद ज़िंदाबाद
एक इन्किलाबी का जन्मदिन है आज
कांपता था जिससे अंगरेजी साम्राज्य
नाम है उसका चंद्रशेखर आज़ाद
कमांडर था वह हिन्दुस्तान सोसलिस्ट सेना का
आम जनता का राज जो लाना था
गरीबी-गैरबराबरी से मुक्त समाज बनाना था
इंसान का इंसान से शोषण नामुमकिन करना था
मिला भगत-भगवती से विद्वान-वीरों का साथ
थे सारे-के सारे निर्भय और इन्किलाबी जन्मजात
गूँज उठा भारत भर में नारा-ए-इन्किलाब ज़िनाबाद
हुआ जब प्रतिध्वानित यह नारा हिमालय की चोटिओं से
सुनाई दिया लन्दन में उसे बंद महल की खिड़कियों से
चूलें हिल गयीं सम्राट की बौखला गया हुक्मरान
उनमें भी हलचल मची चलाते थे जो शान्ति-अभियान
कद आज़ाद की सेना का जैसे-जैसे बढ़ता गया
जालिम ज़ुल्म में तेजी लाता गया
हो गए थे भगवती-भगत-राजगुरु-सुखदेव शहीद
आज़ाद तलाश रहे थे इन्किलाब की नई तजवीज
डाला इलाहाबाद के एक पार्क के जंगल में अस्थायी डेरा
तभी गद्दारों-मुख्विरों के जरिये वहां डाल दिया दुश्मन ने घेरा
अकेले आज़ाद ने घंटों सम्हाला मोर्चा अंग्रेजी सेना का
दिया नहीं मौक़ा खुद पर निशाना लगाने का
किया अंतिम गोली का इस्तेमाल खुद पर
शहीद-ए-आज़म हो गए आज़ाद मर कर
मरता नहीं शहीद ज़िंदा रहते हैं उसके विचार
देते हैं प्रेरणा होते नए इन्किलाबी उभार
अमर रहो कामरेड आज़ाद, कोटिक लाल-सलाम
जारी रहेगा शोषण-मुक्त समाज का तुम्हारा अभियान
आने वाली पीढियां आगे बढाती रहेंगी इन्किलाबी पैगाम
इन्किलाब जिंदाबाद, जिंदाबाद चंद्रशेखर आज़ाद .
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