यह शख्स है जिसका नाम है ईश
करता नही अनर्गल प्रलाप की कोशिश
कहता है वही, लगता है उसको जो सही
परवाह भला-बुरा लगने की करता नहीं
करता वही जो मन को भाये उसके
हो जाए जो भी झेलता नही किसी के ठसके
हो जाती जो उससे कोई भी गलती
अपराधबोध से जिंदगी बोझिल हो जाती
सुकून पाता तभी जब माँग लेता माफी
कला के लिए कला को मानता अपराध
बहस के लिए बहस को कहता प्रलाप
लगाये उस पर जो भी आरोप प्रलाप का
होगा वह रोगी किसी मानसिक संताप का
होती है ऐसे लोगों से उसको सहानुभूति
बनी रहे जिससे भाईचारे की अनुभूति
16.07.2011
करता नही अनर्गल प्रलाप की कोशिश
कहता है वही, लगता है उसको जो सही
परवाह भला-बुरा लगने की करता नहीं
करता वही जो मन को भाये उसके
हो जाए जो भी झेलता नही किसी के ठसके
हो जाती जो उससे कोई भी गलती
अपराधबोध से जिंदगी बोझिल हो जाती
सुकून पाता तभी जब माँग लेता माफी
कला के लिए कला को मानता अपराध
बहस के लिए बहस को कहता प्रलाप
लगाये उस पर जो भी आरोप प्रलाप का
होगा वह रोगी किसी मानसिक संताप का
होती है ऐसे लोगों से उसको सहानुभूति
बनी रहे जिससे भाईचारे की अनुभूति
16.07.2011
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