अनूठी होती है बेमौसम की कोई भी बात
पहाड़ों की बेमौसम बर्फबारी हो
या हो मैदानों की बेमौसम बरसात
नियमों की तो सबको आदत होती है
अलग ही अनुभूति देते हैं उनके अपवाद
बचने के लिए अभिव्यक्ति के खतरे से
मन में ही रखते हैं अपने जज्बात
खामोशी में छिपा लेते हैं
जब भी आती है आपकी याद।
(यूं ही, कलम बहुत दिनों बाद आवारा हुआ)
(ईमि: 10.01.2022)
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