Saturday, January 15, 2022

मार्क्सवाद 258 (चिली में चुनाव)

 चिली में पिछले महीने राष्ट्रपति पद पर समाजवादी युवा नेता, गैब्रियल बोरिस के निर्वाचन पर मेरे लेख पर एक सज्जन ने 'एक और' नरसंहारी तानाशाह के उदय की आशंका का कमेंट किया। उस पर:


जातीय, सांप्रदायिक या नस्ली नफरत के सियासतदां तथा नरसंहारी शासक के समर्थक किसी भी जनपक्षीय शासन के बारे में ऐसी ही अफवाहें उड़ाकर अपनी भड़ास निकालते हैं तथा नरसंहारी तख्तापलट की कोशिस का समर्थन करते हैं। 1970में चिली में छात्र-मजदूर आंदोलनों से उभरे, निर्वाचित समाजवादी राष्ट्रपति अलेंदे की सरकार का सैनिक तख्ता पलट साम्राज्यवादी खेमे के रिंग लीडर अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन ने करवाया था। उसके बाद चिली सालों तक पिनोचे की सैनिक तानाशाही के दमन और साम्राज्यवादी लूट का कहर झेलता रहा। अलेंदे की राजनीति के वारिस, युवा समाजवादी नेता गैब्रयल बोरिस को चुनकर चिलीवासियों ने 1970 की याद ताजा कर दी, तब से अब तक प्रशांत महासागर में अनंत लहरे उठ-गिर चुकी हैं, अमेरिका और सीआईए के साम्रज्यवादी लूट के मंसूबों से लैटिन अमेरिकी आवाम वाकिफ है और 1973 जैसी साम्राज्यवादी साजिश के विरुद्ध सजग। उम्मीद है अमेरिका के पिछवाड़े उगा लाल सूरज धीरे-धीरे पूरे लैटिन अमेरिका और पूरे भूमंडल को रोशन करेगा। साम्राज्यवाद का एक जवाब-इंकलाब जिंदाबाद।

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