Tuesday, January 11, 2022

शिक्षा और ज्ञान 343 (मुहूर्त)

 हो सकता है सापेक्षता सिद्धांत पर संदेह किया जा रहा हो, संदेह और सवाल करना ही ज्ञान की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की कुंजी है। संदिग्ध होना अप्रमाणित होना नहीं है, जब कोई उच्चतर ज्ञान सापेक्षता सिद्धांत को खारिज कर खुद को स्थापित करेगा तो वह नया सत्य हो जाएगा। जिस दिन ज्योतिष के सिद्धांत प्रमाणित हो जाएगे, ज्योतिष को सत्य मान लूंगा। जब तक व्यवहार में कुछ प्रमाणित नगृहीं होता वह सत्य नहीं होता यानि असत्य होता है। मेरे बाबा के लिए पंचांग की गणना ही अंतिम सत्य था। खेत सूख जाए लेकिन बिना साइत (मुहूर्त) के हल नहीं चलेगा। 4-6 दिन स्कूल छूट जाए लेकिन बिना साइतके बच्चा स्कूल नहीं जाएगा। 12 साल से कम उम्र में घर से नदी के बीहड़ के ऊबड़-खाबड़ रास्ते वाले 24-25 किमी दूर परीक्षाकेंद्र पर मेरी जूनियर हाई स्कूल की परीक्षा थी, परीक्षा के पहले वाली रात 12 बजे साइत थी। हम रात भर चलकर सुबह 6 बजे परीक्षा केंद्र पहुंचे, 7 बजे से परीक्षा थी। 9 वीं में मैं पढ़ने शहर चला गया और उसके एक साल बाद यथासंभव दिशाशूल में घर से निकलता कोई अशुभ नहीं हुआ उसके बाद मुहूर्तशास्त्र पाखंड लगने लगा। सही कह रहे हैं विज्ञान भी परिकल्पना (hypothesis) का इस्तेमाल करता है, लेकिन वह परिकल्पना प्रमाणित या सत्यापित होने के बाद ही प्रमेय बनती है, वरना खारिज हो जाती है।

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