यह (सनातन का जाप करने और सनातनद्रोह की सनद बांटने वालों से पूछना कि सनातन क्या है?) मनोवैज्ञानिक गेम नहीं है, निहित सांप्रदायिक मंसूबे से सनातन जैसे अपरिभाषित, अज्ञात, अमूर्त शब्द का जाप करना तथा इसके विरोध के आरोप से वैज्ञानिक सोच को गरियाना अज्ञात धार्मिक भावनाओं के दोहन का मनोवैज्ञानिक खेल है। फासीवादी लोगों की भावनाओं के दोहन और धर्मोंमादी नफरत फैलाकर लोगों को उल्लू बनाकर अपना उल्लू सीधा करने के लिए अमूर्त, अपरिभाषित अवधारणाओं का इस्तेमाल करता है। हिटलर के जनाधार बने सीधे-सादे जर्मन नहीं जानते थे कि यहूदी किस तरह उनका दुश्मन है तथा उनके विरुद्ध क्या करता है, लेकिन इतना जानता था कि हर यहूदी हैवान है और पूरे आर्य-जर्मन नस्ल का दुश्मन है। फासीवादी जनाधार के सदस्यों के अधिकतर वंशज नाजी फासीवाद से उतनी ही नफरत करते हैं जितना वे यहूदियों से करते थे। मैं यदि कहता हूं कि मैं नास्तिक हूं, या मार्क्सवादी हूं तो मैं जानता हूं और स्पष्ट शब्दों में पूछने पर बता सकता हूं कि नास्तिकता क्या होती है या मार्क्सवाद क्या है? लोग धर्म और संस्कृति में अंतर समझे बिना धर्म-संस्कृति का जाप करते रहते हैं। आपने धर्म और संस्कृति पर गंभीर विमर्श का एक थ्रेड शुरू किया था किसी जाप करनेवाले ने विमर्श में शिरकत नहीं की, मैं भी एक छोट कमेंट करके रह गया। सोचा था तीन-चार कमेंट में बात पूरी करूंगा, लेकिन वह पोस्ट पीछे छूट गयी। आग्रह है, फिर से शुरू करिए ।
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