इवि के एक ग्रुप में जिग्नेश मेवानी और उमर की एकसाथ तस्वीर 'ये गंदे चेहरे कौन हैं?' सवाल के साथ पोस्ट की। उस पर मेरा कमेंट:
आप इन्हें जानते नहीं, उमर एक प्रतिभाशाली उदीयमान इतिहासकार है, उसे पढ़ें और इतने छोटे बच्चे की इतनी विशाल अंतर्दृष्टि देख दांतों तले उंगली दबा लेंगे। मेरे ही संसर्ग में वह नास्तिक और मार्क्सवादी बना। जिग्नेश से मैं एक ही बार मिला हूं, ऊना में दलित दमन से उपजे प्रतिरोध को उसने जातिवादी प्रतिरोध होने से बचाकर आर्थिक मांगों से जोड़कर वर्गीय प्रतिरोध का रूप दिया। 'गाय की अपनी पूंछ अपने पास रखो, हमें हमारी जमीन दो'। दर-असल इनके बारे में आपकी जानकारी छीः न्यूज जैसे मृदंग मीडिया चैनलों से प्रसारित अफवाहों पर आधारित है। तत्कालीन पट्टाधारी पुलिस कमिश्नर (रिटायर होते ही यूपीयससी का सदस्य बन गया) ने उमर और उदीयमान इतिहासकार अनिर्बन पर एक ही आरोप लगाया था लेकिन लोगों के दिमाग में इतना सांप्रदायिक जहर भरा है कि वे मुझसे अनिर्बन के नहीं उमर के ही 'देशद्रोह' का हिसाब मांगते हैं।इवि के एक ग्रुप में जिग्नेश मेवानी और उमर की एकसाथ तस्वीर 'ये गंदे चेहरे कौन हैं?' सवाल के साथ पोस्ट की। उस पर मेरा कमेंट:
आप इन्हें जानते नहीं, उमर एक प्रतिभाशाली उदीयमान इतिहासकार है, उसे पढ़ें और इतने छोटे बच्चे की इतनी विशाल अंतर्दृष्टि देख दांतों तले उंगली दबा लेंगे। मेरे ही संसर्ग में वह नास्तिक और मार्क्सवादी बना। जिग्नेश से मैं एक ही बार मिला हूं, ऊना में दलित दमन से उपजे प्रतिरोध को उसने जातिवादी प्रतिरोध होने से बचाकर आर्थिक मांगों से जोड़कर वर्गीय प्रतिरोध का रूप दिया। 'गाय की अपनी पूंछ अपने पास रखो, हमें हमारी जमीन दो'। दर-असल इनके बारे में आपकी जानकारी छीः न्यूज जैसे मृदंग मीडिया चैनलों से प्रसारित अफवाहों पर आधारित है। तत्कालीन पट्टाधारी पुलिस कमिश्नर (रिटायर होते ही यूपीयससी का सदस्य बन गया) ने उमर और उदीयमान इतिहासकार अनिर्बन पर एक ही आरोप लगाया था लेकिन लोगों के दिमाग में इतना सांप्रदायिक जहर भरा है कि वे मुझसे अनिर्बन के नहीं उमर के ही 'देशद्रोह' का हिसाब मांगते हैं।
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