किसी मित्र ने किसी की पोस्ट शेयर किया है कि भगत सिंह ने 'मैं नास्तिक क्यों हूं' में लिखा है कि वे छूट गए तो अंबेडकर के रास्ते पर चलेंगे, उस पर मेरा कमेंट:
पहली बात तो भगत सिंह जानते थे कि वे छूटेंगे नहीं नहीं तो संसद में बम फेंकने के बाद उनके वहां से निकलने के पूरे उपाय थे। मैं यह लेख एक से अधिक बार पढ़ चुका हूं, इस लेख और उनके अन्य किसी लेख में अंबेडकर का कोई जिक्र नहीं है। 1928 में अछूत समस्या में व्यक्त भगत सिंह के विचार सामाजिक क्रांति पर अंबेटकर के विचारों से मेल खाते हैं, अंबेडकर को हिंदू से बौद्ध बनने में दशकों लग गए, भगत सिंह किशोरावस्था में नास्तिक बन गए थे।
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