Saurabh Malviyaबंद दिमाग ब्राह्मणवादी भक्तों का कोई इलाज नहीं. वैसे भी भक्तिभाव एक लाइलाज रोग है जो रोगी को आजीवन मानसिक विकलांग बना देता हेै. तोते की तरह रट लेता है सत्य नारायण की कथा की तरह जिसमें कथा गायब होती है. इन मूर्खों को यह नहीं मालुम कि आजाद जिस दल के मुखिया थे उसका घोषित वैचारिक आधार मार्क्सवाद है. यहयसआरए का मेनिफेस्टो पढ़ो जिसमें जनसंघर्षों से सर्वहारा की तानाशाही स्थापित करना दल का लक्ष्य बताया गया है. नेच पर उपलब्ध है बम का दर्शन. पढ़ लो. ब्राह्मण से इंसान बनने में अक्षम लोगों की पढ़ने और तर्कशीलता की आदत नहीं होती. शाखा की ड्रिल दिमाग कुंद कर देती है. विषयांतर से विमर्श विकृत करना ब्राह्मणवाद (जातिवाद) की पुरानी चाल रही है. संघियों का इतिहास अंग्रेजों की दलाली का इतिहास है, इनके पास तो सावरकर और गोलवल्कर जैसे खलनायक ही हैं जो माफी मां अंग्रेजी सेना में भर्ती का अभियान चलाते थे और हिंदुओं से आजादी की लड़ाई में ऊर्जा न व्यर्थ कर मुसलमानों और कम्युनिस्टों से लिए संरक्षित करने की अपील करते थे. अफवाहजन्य इतिहासबोध वाले संघी ब्राह्मणवादी अपने खलनायकों का भी लेखन नहीं पढ़ते. गोलवल्कर आजादी की लड़ाई से दूर रह हिटलर के अनुशरण की हिमायत करता है. वि ऑर आवर नेसन डिफाइन्ड पढ़ो, लगता है इतना बड़ा मूर्ख और देशद्रोही जिनका विचारपुरुष है उनका नैतिक-वैचारिक स्तर क्या होगा सोचा जा सकता है. इन जाहिलों के सर पर वामपंथ का भूत मड़राता रहता है, पूछो वामपंथ परिभाषित करो तो सांप सूंघ जाता है जैसे देशद्रोह की परिभाषा पर. सुनो, बंद दिमाग संघियों वर्तमान तो विकृत कर ही रहे हो, इतिहास को बख्स दो. जिस वामपंथ को गालियां दे रहे हो उसकी परिभाषा कर सकते हो?
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