Tuesday, August 30, 2016

शिक्षा और ज्ञान 71

Alok Kumar Pandey भाई अपने ही नायकों को हम अपना नायक मानते हैं आपके पास तो सारे खलनायक हैं तो दूसरों के नायकों का भौड़ेपन से संघीकरण करना चाहते हैं. भगत सिंह खुद को मार्क्सवादी लिखते हैं और यचयसआरए का लक्ष्य सर्वहारा की तानाशाही स्थापित करना था. पढ़ने की आदत डालिए आप भी संघी खाई से निकल भागेंगे. भगत सिंह संप्रदायिकता को समाज का कोढ़ मानते हैं. लेकिन संघी की पढ़ने की आदत नहीं होती अफवाह फैलाता है. मैं लिंक देता हूं. आपने तो दीन दयाल और गोलवल्कर को भी नहीं पढ़ा होगा जो मनु को दुनिया का महानतम विधिवेत्ता मानते हैं और मनु दलितों और शूद्रों के बारे में कितना अमानवीय विचार रखता है सब जानते हैं. मैंने पढ़ा है. मैं भगत सिंह का सांप्रदायिकता पर लेख और पूजीवाद की जुड़वा नाजायज औलादों -- आरयसयस और जमातेइस्लामी का तुलनात्मक लेख का भी लिंक देता हूं. वही पढ़ लीजिए तो पता चल जाएगा हिंदुओं को आजादी की लड़ाई से दूर रहने की सलाह देने वाले पपू गुरू जी का मानसिक स्तर क्या था?

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