फिदेल कास्त्रो के 90वें जन्मदिम के उपलक्ष्य में
फिदेल कास्त्रोः साम्राज्यवादी महाबली का महाकाल
ईश मिश्रं
सामाज्यवादी
साज़िशों की निरंतरता, आर्थिक नाकाबंदी तथा हत्या की 60 से अधिक कोशिसों को धता
बताते हुए, क्यूबा की क्रांति के नायक, फिदेल कास्त्रो इस
महीने (अगस्त, 2016) की 13 तारीख को जीवन के नब्बे बसंत पार कर चुके. पत्रकारों से कहा करते थे, ‘यदि हत्या के प्रयास
से बचना ओलंपिक खेलों शामिल होता तो मुझे
कई गोल्ड मेडल मिलते.’ 13 जुलाई को क्यूबा के एक
सरकारी अखबार में जन्मदिन शीर्षक से छपे लेख में दादा कास्त्रो ने कहा, “दुश्मन अगर कामयाब
होता तो बहुत पहले राउल (वर्तमान राष्ट्रपति) इस पद पर होते, मुझे अमरीकी
राष्ट्रपतियों की मैक्यावलियन योजनाओं पर हंसी आती थी.” आखिऱ ऐसी क्या बात है कि 1959 अमेरिकी पिट्ठू
बतिस्ता सरकार को अपदस्थ कर समाजवादी
सरकार के गठन के बाद से ही अमरीकी सरकारें फिदेल कास्त्रो की हत्या क्यों करवाना
चाहते थे? गौरतलब है कि क्यूबा अमरीका के पिछवाड़े एक छोटा सा द्वीप देश है,
जिसकी कुल मौजूदा आबादी सवा करोड़ है. यह अलग बात है कि
क्रांति के कुछ ही सालों में, कास्त्रो और चे ग्वेरा के नेतृत्व में व्यापक
लिक्षरता से शत-प्रतिशत साक्षरता की उपलब्धि की मिशाल कायम करने वाला क्यूबा
ओलंपिक खेलों में दर्जनों मेडल अर्जित करने वालो खिलाड़ी प्रशिक्षित करता है तथा
लैटिन अमेरिका के तमाम देशों की सहायता के लिए समर्पित शिक्षक तथा डॉक्टर शिक्षित
करता है. साम्राज्यवादी ताकतों की बौखलाहट अनायास नहीं थी. न सिर्फ सारी अमेरिकी
कंपनियां राष्ट्रीकृत कर दी, अमेरिकी माफिया को भी सारे कैसिनो बंद कर तगड़ा झटका
लगा.
साम्राज्यवादी बौखलाहट
अपने चरम पर पहुंच गयी जब 1960 में, साम्राज्यवादी
शिकंजे से साल बर पहले मुक्त द्वीप-देश क्यूबा के राष्ट्राध्यक्ष के रूप में, फौजी
वेश-भूषा में लंबी दाढ़ी-बाल वाले, 34 साल के युवा फिदेल के साढ़े चार घंटे के
धाराप्रवाह भाषण ने दुनिया के साम्राज्यवादियों के होश उड़ा दिए और क्रांतिकारी
युवाओं को में जोश का संचार. वह भाषण एक अनूठा ऐतिहासिक दस्तावेज है, अमानवीय
साम्राज्यवादी दमन और लूट की दास्तान का दस्तावेज. यह भाषण इस मामले में भी
ऐतिहासिक दस्तावेज है कि यह न सिर्फ लूट की साम्राज्यवादी चालों का खुलासा करता
है, बल्कि साम्राज्यवाद के विरुद्ध निर्णायक युद्ध का आह्वान भी है. यह लेख शुरू
करने के पहले कास्त्रो का वह ऐतिहासिक भाषण यूट्यूब पर मिल गया, मैं बिना एक शब्द
समझे मंत्रमुग्ध हो पूरा भाषण सुन गया. भाषण सुनते हुए प्राचीन यूनानी दार्शनिक
प्लैटो के दार्शनिक राजा की अवधारणा की याद आई, फर्क यह कि प्लैटो का दार्शनिक
राजा विचारों की अमूर्त दुनिया में भ्रमण करता है और क्यूबा की क्रांति का यह
जननायक भौतिक विश्व के यथार्थ की विद्रूपताओं तथा उनके विनाश की जरूरत है. गरतलब
है कि इसी भाषण में कास्त्रो ने साम्राज्यवादी देशों के कर्च को बट्टाखाता में
डालने के लिए तीसरी दुनिया की सरकारों का आह्वान किया था क्योंकि यह कर्ज उनकी लूट
का नगण्य हिस्सा था. तभी से शुरू हो गई उन्हें जान से मारने की अमेरिकी सजिश, यह न
जानते हुए कि फिदेल तब तक व्यक्ति से विचार बन चुके थे और विचार मरते नहीं, आगे
बढ़ते है और इतिहास रचते हैं. भूमंडलीय पूंजी के क्रूर हमले से निर्मित तिमिर में
आशा के द्वीप की तरह अडिग चमक रहा है.
क्यूबा में बिरान के
एक खाते-पीते परिवार में 13 अगस्त 1926 को पैदा हुए फिदेल कास्त्रो हवाना
विश्वविद्यालय के छात्र जीवन में मार्क्सवाद से प्रभावित हो, साम्राज्यवाद-विरोधी,
वामपंथी छात्र राजनीति में सक्रिय हुए. डोमेनिकन गणराज्य और कोलंबिया की अमेरिकी
कठपुतली दक्षिणपंथी सरकारों के विरुद्ध विद्रोहों मे शिरकत के बाद क्यूबा की
अमेरिकी कठपुतली, फ्लुगेंसिओ बतिस्ता सरकार के विरुद्ध मुहिम की योजना बनाने और इसके
लिए युवाओं की लामबंदी में जुट गए. 1953 में मोनकाडा सैनिक बैरक पर नाकाम हमले के
बाद फिदेल ने एक साल जेल में बिताया. जेल में अध्ययन तथा चिंतन-मनन से एक नई विश्व
दृष्टि से लैस फिदेल कास्त्रो ने भाई राउल कास्त्रो 26 जुलाई आंदोलन नाम से
एक संगठन खड़ा किया. मेक्सिको उनकी
मुलाकात घूम-घूम कर पूरहे लैटिन मेरिका में क्रांति की अलख जगाने की विश्वदृष्टि
वाले अर्जेंटाइन क्रांतिकारी चे ग्वेरा से हुई जो कास्त्रो बंधुओं के साथ व
आंदोलन की धुरी बन गए. वापस क्यूबा आकर बतिस्ता शासन के खिलाफ छापामार युद्ध
में कास्त्रो और चे की केंद्रीय भूमिका थी.
1959 में बतिस्ता
सरकार के जनविरोधी प्रासाद के खंडहरों पर जनवादी आसियाना खड़ा करने की अगुवाई करने
के लिए कास्त्रो क्यूबा गणतंत्र के प्रधान मंत्री बने और सेना की कमान अपने हाथों
में रखा. चे को उद्योग तथा संस्कृति मंत्रालय सौंपा जिन्होंने कृषि सुधारों तथा
साक्षरता अभियानों से मुल्क का नक्शा ही बदल दिया. चे के सैनिक प्रशिक्षण तथा
रणनीति ने बे ऑफ पिग्स के मेरिकी हमले को नाकाम कर दिया था. लगभग निक्षर
क्यूबा पलक झपते शत-प्रतिशत साक्षर हो गया. चे ने जनवादी परिप्रेक्ष्य के विकास के
नजरिए के विकास के मद्देनजर शिक्षा को सर्वाधिक महत्व दिया. यहां चे के विचारों
तथा योगदान पर चर्चा की गुंजाइश नहीं है, इस पर बहुत कुछ लिखा जा चुका है. इस लेख
का मकसद दादा फिदेल कास्त्रो के कालजयी व्यक्तित्व को याद करते हुए उनके 90
साल पूरा करने पर उन्हें सलाम करना है. शीतयुद्ध के दौरान सोवियत संघ से नजदीकी और
विकास की नई मिशाल से अमरीकी शताब्दी के मंशूबों पर खतरों के चलते अमेरिकी शासन उनकी
हत्या की नाकाम कोशिसों में लग गया. इसी क्रम में उसने क्यूबा की आ4थिक नाकेबंदी
के साथ 1961 में बे ऑफ पिग्स पर हमला कर दिया जिसकी ऐतिहासिक शिकस्त विश्वविदित
है. कास्त्रो ने सोवियत संघ से संधि के तहत उसे 1962 मेंक्यूबा में परमाणु मिसाइल
का अड्डा बनाने की सहूलियत दी जो क्यूबा का मिसाइल संकट नाम से जाना जाता है और
जैसा कि सुविदित है कि यह घटना शीतयुद्ध का एक निर्णायक मोड़ थी.
विकास के
मार्क्सवादी-लेनिनवादी सिद्धांतों के तहत कास्त्रो ने कम्युनिस्ट पार्टी के
नेतृत्व में समाजवादी सरकार का गठन किया. पश्चिमी दुनिया के देशों में यह पहली
परिघटना थी. केंद्रीय आर्थिक योजना, स्वास्थ्य तथा शिक्षा में सुधार के साथ
प्रतिक्रांतिकारी अभियान पर लगाम के लिए मीडिया को राज्य नियंत्रित बना दिया गया.
तरराष्ट्रीय राजनीति में कास्त्रो साम्राज्यवाद विरोधी ताकतों के साथ दृढ़ता से
खड़े रहे. उन्होंने चिली, निकारगुआ तथा ग्रेनेढा में समाजवादी सरकारों की स्थापना
में भरपूर सहायता की. कुप्पुर युद्ध (मिश्र तथा सीरिया के नेतृत्व में इजरायल के
कब्जे वाले गोलन हाइट्स के कुप्पुर जगह पर
इजरायली सेना से मुठभेड़) में सेना भेजा. इथिओपिया के साथ सोमालिया के युद्ध तथा
अंगोला के गृहयुद्ध में भी प्रगतिशील ताकतों की भी सैन्य सहायता की. 1979 से 1983
तक गुट-निरपेक्ष आंदोलन के मुखिया के रूप में उनके योगदान तथा क्यूबा की स्वास्थ्य
अंतरराष्ट्रीयता ने तीसरी दुनिया के आमजन का चहेता बना दिया.1991 में सोवियत
संघ के विघटन के बाद कास्त्रो के नेतत्व में क्यूबा ने एक विशिष्ट दौर में
प्रवेश किया जिसमें पर्यावरण संरक्षण और भूंडलीकरण विरोधी विचारों पर जोर दिया
गया. 21वीं सदी में कास्त्रो ने लैटिन अमेरिका में उठ रही गुलाबी लहर, विशेषकर
बेनेजुएला में ह्यूजो सावेज के नेतृत्व में समाजवादी प्रयोग का समन किया और अमेरिकी
बॉलीवेरियन गठजोड़ बनाया. 2006 में फिदेल कास्त्रो ने सत्ता का ज्यादातर
दायित्व उपराष्ट्रपति राउल कास्त्रो को सौंप दिया जो औपचारिक रूप से 2008 में
राष्ट्रपति बन गये.
1959 में अमेरिकी
पिट्ठू बतिस्ता सरकार के विरुद्ध सशस्त्र क्रांति की कामयाबी के बाद फिदेल
कास्त्रो लगभग 5 दशक क्यूबा में सत्ता के शीर्ष पर रहे जिसके दौरान क्यूबा ने
निरक्षरता तथा नस्लवाद उन्मूलन में अभूतपूर्व कामयाबी हासिल की. क्यूबा की
सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली विश्व में सर्वोत्कृष्ट है. अस्तित्व में आने के बाद
से ही समाजवादी क्यूबा साम्राज्यवादी अमेरिका की आंख की किरकिरी बना हुआ है.
क्रांति के बाद कास्त्रो की सरकार ने बिना किसी मुआवजे के सभी आर्थिक-व्यापारिक
प्रतिष्ठानों का राष्ट्रीयकरण कर दिया, जिनमें ज्यादातर अमेरिकी थैलीशाहों के थे.
अमरीका की नाराज़गी लाज़मी थी. 1960 में उसने क्यूबा की नकेल कसने के लिए उसकी
आर्थिक नाकेबंदी कर दी जो अब तक जारी है लेकिन अगर मुल्क का आवाम साथ हो तो कोई भी
नाकेबंदी उस मुल्क का कुछ नहीं बिगाड़ सकती. अमेरिका ने कास्त्रो की हत्या के 60
से अधिक प्रयास किया. 1961 में बे ऑफ पिग्स पर हमला प्रायोजित किया जो उसके लिए
मंहगा पड़ा. 100 से अधिक अमेरिकी प्रशिक्षित हमलावर मारे गये तथा बाकी गिरफ्तार,
जिन्हें 5.2 करोड़ डॉलर के मूल्य की चिकित्सा सामग्री तथा बेबी फूड के एवज में
रिहा किया गया. तब से क्यूबा को अस्थिर करने के अमरीकी साजिशें जारी हैं और उसीके
पिछवाड़े जरा से देश क्यूबा की साम्राज्यवाद विरोधी गर्जना की प्रतिध्वनियां आज भी
महाबली अमरीका के हुक्मरानों की नीद हराम किए हुए है.
इस कालजयी
व्यक्तित्व की 90वीं सालगिरह का मुबारकवाद उनके लगभग 5 दशक के शासनकाल में जनजीवन
की सक्षिप्त चर्चा के बिना अधूरा रह जाएगा. सत्ता संभालते ही कास्त्रो ने सारे
कानूनी भेदभाव समाप्त कर दिया, गांव-गांव सड़क और बिजली पहुंचाया. चे के निर्देशन
में शुरू समाजवादी शिक्षा प्रणाली को मजबूत किया क्योंकि क्रांतिकारी चेतना के
विकास में कास्त्रो और चे ने शिक्षा के महत्व को शुरू से ही चिन्हित कर लिया था.
आज भी क्यूबा में शिक्षा का बजट दुनियां में सर्वोपरि है, सकल घरेलू आय का 14
फीसदी से अधिक. शिक्षा तथा आर्थिक ढांचे के समाजवादी पुनर्गठन से बेराजगारी गधे की
सींग की तरह लोप हो गयी. वहां की स्वास्थ्य सुविधाओं की गुणत्ता के डंके की
प्रतिध्वनि दुनिया भर में गूंज रही है. आर्थिक नाकेबंदी के चलते, खासकर सोवियत संघ
के विघठन के बाद स्थिति इफरात के बंटवारे की नहीं बल्कि अभाव के साझेदारी की थी.
साम्राज्यवादी आर्थिक-सामरिक हमलों को झेलते हुए कास्त्रो ने आवास तथा उपभोक्ता
सामग्री की कमी की समस्या का निवारण बहुत सूझ-बूझ से किया, बिना झुके, बिना टूटे.
उन्होंने निजी व्यापार को तो समाप्त किया ही, खेती की जमीन पर भी कड़ी सीलिंग लागू
करके तथा जमीन के पुनर्वितरण से ग्रामीण गैरबराबरी को न्यूनतम कर दिया. 1960 से
1980 तक क्यूबा लौटिन अमेरिका के विभिन्न देशों के वामपंथी गुरिल्ला आंदोलनों की
आर्थिक तथा हथियारों से मदद करता रहा. जन्मदिन मुबारक हो युगपुरुष, कॉमरेड फिदेल
कास्त्रो, दुनिया का हर इंसाफपसंद इंसान आपकी दीर्घायु की कामना करता है, जिससे
दुनिया के क्रांतिकारी नवजवानों को दुनिया भर में क्रांति के चे के साथ देखे आपके
सपनों को साकार करने की प्रेरणा मिलती रहे. लाल सलाम कॉमरेड फिदेल कास्त्रो.
(21.08.2016)
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