जी हां, मैं हूं मोहन भागवत
हिंदु-राष्ट्र का चितपावनी स्वागत
मैं व्यक्ति नहीं व्यवस्था हूं
नागपुर में बैठा लगाम देश की कसता हूं
हमारा धर्म है बहुत सहिष्णु
हमारे अवतारी भगवान हैं भगवान विष्णु
जब भी बढ़ता है पाखंड पर अत्याचार
अवतरित होते हैं करने वे असुरसंहार
कलयुग में बदला है असुरों ने भेष
बन गये हैं कम्युनिस्ट, बुद्धिजीवी और म्लेच्छ
बुद्धिजीवी है असहनशीलता की जीवंत मिशाल
करता है तर्कों से अवतारों की लीला पर सवाल
कर दिया सहिष्णु भक्तों चंद चरमपंथी हलाल
उठा लिया दानिशमंदों ने विद्रोह की मशाल
कलयुग के अवतारों पर होती संवैधानिक सीमा
बना देते वरना इन सबका कीमा
इनके विचारों मैं है कटु असहनशीलता
कब तक धीरज धरेगी हमारी सहनशीलता
करेंगे भक्त खत्म इनमें संख्याबल की आस्था
करेंगे दानिशमंदी की वैकल्पिक व्यवस्था
लग गये हैं इस मिशन में दीनानाथ बत्रा
टीवी पर काबिज पराक्रमी संवित पात्रा
वैसे तो चैनलों पर है हमारी पूरी निगरानी
फिर भी कुछ कहते हैं नामाकूल कहानी
उन्हें भी खरीद लेंगे हमारे अंबानी
थिंक-टैंक हमारे सिन्हा राकेश
मचाता जो विमर्श में भाषा का भदेस
पाते रहे अवतार पुरुष यदि ऐसे ही जनादेश
बना देंगे भारत को ऋषि-मुनियों का देश
होगा तब हिंदुओं में स्वर्णयुग का जुनून
हिंदुराष्ट्र में लागू होगा मनु महराज का कानून
(ईमिः 02.11.2015)
सुन्दर ........... मेरे ब्लॉग पर आपके आगमन की प्रतीक्षा |
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शुक्रिया
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