Monday, November 9, 2015

हम भी देखेंगे

लाजिम है हम भी देखेंगे
जब मेहनतकश परचम लहराएगा
फिरकापरस्ती का दानव छूमंतर हो जाएगा
राष्ट्रवाद का कॉरपोरेटी चेहरा बेपर्दा हो जायेगा 
छात्रों में जब ऐसा इंकलाबी जज्बा आएगा
इंकलाब के नारोॆ से तब चप्पा-चप्पा गूंजेगा
गोबर के इन गणेशों को कोई भी नहीं तब पूजेगा
हर शहर हर गांव में हिरावल दस्ता घूमेगा
औ ज़ुल्म की परतें खोलेगा
जालिम का सिंहासन डोलेगा
दुनिया के हर गुंबद पर लाल लालप लहराएगा
हम देखेंगे
लाजिम है हम भी देखेंगे
(बस ऐसे ही, कलम का मॉर्निंग वाक)
(ईमिः10.11.2015)

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