Wednesday, November 11, 2015

मैं नहीं हूं देशभक्त

मैं नहीं हूं देशभक्त

मैं तो शाहिद तथा जावेद सा ही हूं
तो क्या देशभक्त नहीं हूं
नहीं है यह पहली बार 
जब दिमाग को मथ रहा है यह सवाल
बचपन से ही घूमती है मन में यह बात
देशभक्ति का क्या है निहितार्थ
था जब बहुत छोटा बच्चा 
चीन के साथ युद्ध छिड़ गया था
कुछ लोगों ने किया था जंग की मुखालफत
कर रहे थे वे देशों के मेलजोल की हिमायत 
रेडियो से पता चला हैं वे देशद्रोही उद्दंड
जिसके लिए मिला था उन्हें कारावास क दंड
बनी रही मन में दुविधा की फितरत
जंगख़ोरी है देशभक्ति या चीनियों से नफरत
हुआ जब थोड़ा बड़ा
पाकिस्तान के साथ जंग छिड़ा  
लगता था नीम के चबूतरे पर देशभक्तों का मजमा
सुनने आकाशवाणी से जंग का आंखो देखा माजरा
आगे बढ़ रहे थे बहादुर होते हुए शहीद
मेरे जिले का भी था उनमें एक कैप्टन हमीद
सुनने में आई तभी एक अजूबी बात
लोगों में दिखे कुछ संदेह के जज्बात
थे एक रसूखदार, दानिशमंद मुसलमान 
गन्ने के खेत में सुनते हैं रेडियो पाकिस्तान  
और बढ़ गई मन में दुविधा की फितरत
जंगखोरी है देशभक्ति या पाकिस्तानियों से नफरत
या फिर न सुनना रेडियो पाकिस्तान गन्ने के खेत में छिपकर
कर ही रहा था प्रयास जब मतलब देशभक्ति का
लगा तभी गांव में एक शिविर भक्तों व साधु-संतों का
प्रवचन देते थे गऊ माता की महत्ता का 
सार है जो सनातन धर्म की गौरवशाली सत्ता का
हिंदु धर्म की यही सनातन दीक्षा 
देशभक्ति का मूलमंत्र है गोरक्षा 
जटिल होता जा रही थी देशभक्ति की परिभाषा   
 कम न हुई मगर जानने की अभिलासा 
थोड़ा और बड़ा होकर गया पढ़ने शहर 
देशभक्ति की जटिलता न कम हुई मगर 
ले गये कुछ लोग खिलाने खो और कबड्डी
पहने थे वहां सब चौड़ी-चौड़ी चड्ढी
लगा  कितने अभागे हैं ये शहर के बच्चे
खो-कबड्डी के अलावा खेल ही नहीं जानते
बताया गया ये है देशभक्ति की शाखा 
यहां हिंदुत्व के पौरुष का उत्पादन होता 
कभी कभी एक आदमी दुकच्छी धोती में आता
देशभक्ति पर क्लास लगाता 
मुख्य शिक्षक उसको बौद्धिक कहता
बताता वह हमको नया इतिहास
दिये हैं मुसलमानों ने मुल्क को अनंत संत्रास
बताते थे वे शिवाजी की बहादुरी की बातें
मारा था दुश्मन को गले लगाके
होता था बौद्धिक खत्म नारे लगा के 
मुल्लों को बिल में घुसाया शिवाजी ने आके
देशद्रोही नहीं होता केवल मुसलमान 
कुछ हिंदू भी बन जाते हैं उनसे बड़े शैतान
हिंदु-राष्ट्र को जो मानते नहीं महान 
रहते यहां करते रूस-ओ-चीन का गुणगान
है देश में इनकी कम्युनिस्ट नाम से पहचान
बना रहा देशभक्ति की परिभाषा से तब भी अनजान
हो गई मगर देशद्रोहियों की साफ-साफ पहचान
पढ़कर मार्क्स मिला यह संदेश 
क्रांतिकारी का होता नहीं कोई देश
मानक हो जिस देशभक्ति का हिंसा-ओ-नफरत
होती है ऐसी देशभक्ति पर थूकने की हसरत
सुनो नफरत की देशभक्ति के मशीहाओं
मैं नहीं हूं देशभक्त
 तुम्हारी तरह
(गैर-इरादतन लंबी बौद्धिक आवारागर्दी हो गई, चला था कहीं के लिए पहुंच कहीं और गया, हर शौक की कीमत चुकानी पड़ती है, आवारागर्दी की तो और)
(ईमिः12.11.2015)

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