Sunday, November 22, 2015

फुटनोट 54

  फेसबुक की आभासी दुनिया में मेरे आभासी मित्रों की संख्या 4146 है जिनमें से 10-15% ही वास्तविक दुनिया के परिचित होंगे. आभासी दुनिया के कुछ मित्रों से वास्तविक दुनिया में भी मिलने का अवसर मिला. 1000+ मित्र-निवेदन लंबित हैं. पहले मैं कॉमन फ्रेंड्स देखकर जोड़ लेता था. मोहन भाई( Mohan Shrotriya​) जैसे  जेयनयू तथा इवि के कुछ वरिष्ठ सहपाठियों को मैंने भी सफल आवेदन किया. कई लोगों ने नाम का मिश्र देखकर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजा तो कुछ ने प्रोफाइल में प्रोफेसर देख कर ज्ञानी समझ कर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजा, दोनो ही कोटि के लोग निराश हो कुछ ने मुझे अनफ्रेंड कर दिया तथा पता चलने पर कुछ को मैं कर देता हूं. चार हजार से अधिक आभासी मित्रों में से सक्रिय संवाद बहुत कम से है. मैंने 2 बार पोस्ट डाला कि जो लोग सक्रिय-सार्थक संवाद में रुचि रखते होँ इनबॉक्स करें. अब मैं परिचितों या कभी ताजी रिक्वेस्ट पर प्रोफाइल देखकर. पोस्ट पोस्ट इसलिये डाल रहा हूं कि फेसबुक की एक महिला आभासी मित्र (अब अमित्र हो चुकीं) ने इनबॉक्स किया कि मैं महिलाओं के ही रिक्वेस्ट ऐक्सेप्ट करता हूं तथा कुछ और बेहूदी बातें थीं, जिन्हें अपनी बुजुर्गी का लेहाज करते हुए (कभी-कभी कर लेना चाहिेेए)नहीं लिख रहा हूं. एकाध क्रांति-बालाओं की पोस्ट से दाढ़ी में खुजली हुई थी, लेकिन खुजलाया नहीं. मित्रता इंसानों से करता हूं, ब्राह्मण-भूमिहार, हिंदू-मुसलमान, स्त्री-पुरुष से नहीं. जिस किसी को लगता हो कि उसको मैंने इंसानेतर किसी कारण से जोड़ा है तो तुरंत अमित्र कर दें वरना संकेक मिलने पर मैं कर दूंगा. आशिकी कभी प्राथमिकता नहीं रही, अब तो वक्त ही नहीं है.

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