Shailendra Jha मैंने तो दिल्ली यूनिवर्सिटी का कोई जिक्र नहीं किया, न ही किसी राय को अंतिम कहा, न ही कहीं गांजे के खुनक की बात की. आप अपनी कमजेहनियत के कारण की तलाश कर रहे थे मैंने संभावित कारण सुझाया, कोई और कारण हो सकता है। आप किस प्रगतिशील ग्रुप में हैँ, न जानता हूं न जानना चाहता हूं, फेसबुक की आभासी दुनिया में हम एक दूसरे को शब्दों से जानते हैँ. तमाम दिमागी दिवालिये तर्काभाव गांजा-चरस चिल्लाने लगते हैँ. कहीँ और से स्कोर कर लिया कीजिये, फेसबुक को बख्सिये. या आप को लगता है गांजा पीकर आदमी अच्छा लिखता है तब तो सभी गंजेड़ियों को विद्वान होना चाहिये.
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