सियासत तरह तरह के कुत्ते पालती हैं
उनके अागे शाही सपनों के टुकड़े डालती है
सब मिल दुम हिलाते हैं बॉस को देखकर
बड़े टुकड़े के लिये गुर्राते हैं इक-दूजे पर
झुंड में अजनबी पर बांझ से झपट पड़ते हैं
पत्थर उठाते ही दुम दबाकर भाग लेते हैं
इसीलिये मुझे बॉस से उतना नहीं
जितना उसके कुत्तों से डर लगता है
जो उसकी खुशामदी में बेबात भौंकते है
अपनी ही जमात को काटने दौड़ते हैं
मालिक की महिमा में मिमियाते हैं
विषय न हुअा तो पुराण बांचते हैं
तन जाते हैं पाते ही कुर्सी की पुचकार
दुम हिलाते हैं देखते ही रोटी का अाकार
रथ के नीचे चलते हुये करते ऐलान
रथ के गतिविज्ञान की वही हैं जान
कहते ये खुद को वफादार सजग प्रहरी प्रशासन का
इन्ही की रोशनी से जलता ज़ीरो-पॉवर बल्ब अनुशासन का
इनकी प्यार-पुचकार में भी14 न सही 4 इंजेक्शनों का डर होता है
मुझे बॉस से अधिक बॉस के कुत्तों से डर लगता है
(ईमिः17.02.2015)
No comments:
Post a Comment