दिल्ली के चुनाव का संचालन महामहिम जी खुद कर रहे थे. अाज तक किसी प्रधान मंत्री ने दिल्ली विधान सभा चुनाव में इतनी नुक्कड़ सभायें नहीं किया था न ही भाषा की मर्यादा की इतनी रेड़ लगाई. मोदी जी को सुनकर इलाहाबाद विवि के दिनों के लंपट "छात्र" नेताओं की लफ्फाजी याद आती है. अब तो काले धनियों का नाम अा गया है, अंबानियों का नाम सर्वोपरि है. 56 इंच के सीन की डींग हांकने वाले लफ्फाज, विकास के पापा के अंदर दम है तो अपनी पीठ से अंबानी का हाथ झटक उसकी गर्दन पर हाथ डाले. किंतु भय की सियासत करने वाले कायर अौर डरपोक होते हैं.
मुझे तो इस मुल्क की शिक्षित अाबादी पर तरस अाता है जो दिमाग ताक
पर रखकर पशुकुल में वापस जाने को अड़ जाते हैं. लोस चुनाव के पहले
किसी मोदी भक्त प्रोफेसर से उनके अाराध्य का 1 गुण बताने को कहने
पर कहते थे 16 मई को बतायेंगे, यही जवाब सड़कछाप बजरंगी लंपट भी
देता था.
मुझे तो इस मुल्क की शिक्षित अाबादी पर तरस अाता है जो दिमाग ताक
पर रखकर पशुकुल में वापस जाने को अड़ जाते हैं. लोस चुनाव के पहले
किसी मोदी भक्त प्रोफेसर से उनके अाराध्य का 1 गुण बताने को कहने
पर कहते थे 16 मई को बतायेंगे, यही जवाब सड़कछाप बजरंगी लंपट भी
देता था.
No comments:
Post a Comment