इतिहास गवाह है. जब फासिस्ट हताश होता है, उत्पात मचाता है. रक्तपात अौर बाबरीविध्वंश की धर्मोंमादी लोकप्रियता कम होने लगी तो गुजरात में पैशाचिक उत्पात मचाया. काले धन वालों में अंबानी ऊपर है लेकिन यह मुद्दा तो बंदानवाज का चुनावी शगूफा था, जिसका हाथ उनकी पीठ पर है उसकी गर्दन पर हाथ कैसे डालेंगे? 10 लखिया कुर्ता चाय की कमाई से कैसे बनेगा? जागिये ऐसा न हो कि जब तक तंद्रा टूटे मुल्क बिक गया हो कारपोरेटी लुटेरों के हाथ.
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