Mihir Mishra मार्क्सवादी नास्तिक होता है. वह किसी की पूजा नहीं करता. हम छात्रों के साथ क्या करते हैं यह तो मेरे छात्र ही बतायेंगे, कभी सौभाग्य से आपकी मुलाक़ात हो जाए त्यों आपकी जानकारी कुछ बढ़ जायेगी. मार्क्सवादी आपकी तरह बिना पढ़े-लिखे, बिना तथ्य--तर्क के फतवेबाजी नहीं करता क्योंकि मार्क्सवाद अमूर्त दर्शन नहीं, विज्ञान है जिसमें शोध-सत्यापन से प्रमाणित बात ही सत्य होती आस्था के कुतर्क नहीं. थोड़ा पढ़-लिख लेते तो जानते स्टालिन पर सबसे अदिक आलोचनात्मक बहस मार्क्सवादियों द्वारा ही हुई है. अगर आपको हिटलर और माओ में फर्क नहीं नज़र आता तो विज्ञान का विद्यार्थी समझ आपकी अफवाह्जन्य अवैज्ञानिक ऐतिहासिक समझ पर तरस खाने के अलावा कुछ नहीं किया जा सकता.
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हा हा ।
ReplyDeleteहा हा
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