बाल स्वयंसेवकों का शोषण प्रचारकों और मुख्यशिक्षकों का अधिकार सा है, यह बात अलग है कि अक्सर यह शोषण "मर्जी से " यानि पटाकर (सिड्यूस करके) होता है. एक बच्चा जब तक जिसे मशीहा समझता है उसकी हरकतों पर गौर करे तब तक फंस चुका रहता है और आनंद लेता है तथा सीनियर होकर वह भी बालस्वयंसेवकों के साथ वही करता है. संघ के ये बालभक्षी कमीने कार्यकर्ता नहीं अधिकारी कहे जाते हैं. मैं ऐसे सभी संघियों को चुनौती देता हूं जो बालस्वयंसेवक से आगे बढ़े वे ईमानदारी से बतायें कि किसी अधिकारी ने उससे अंतरंगता बढ़ाने का प्रयास किया कि नहीं, जो इंकार करें, वे झूठ बोलते हैं.
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