Friday, August 29, 2014

तानाशाह 1

तानाशाह 1
तानाशाह हर बात से डरता है
अपने पाप से डरता है
अपने आप से डरता है
हमारे गीतों से डरता है
अपने भीतों से डरता है
कायर कुत्तों की तरह 
झुंड में शेर हो जाता है
पत्थर उठाने के नाटक से ही 
दुम दबाकर भाग जाता है

(ईमि/तारीख याद नहीं)


2 comments:

  1. फिर भी हर जगह उसका पोस्टर नजर आता है ।व

    ReplyDelete
  2. पोस्टरों में जिंदा रहना डर की ही असुरक्षा है

    ReplyDelete