इंदिरा गांधी का छद्म जगजाहिर है, और "बीबी इंदिरा हो तू तो लोकतंत्र की रानी ...." प्रदर्शनों में हम लोगों का ख़ास गीत होता था. मोदी के संघी छद्म से तुलना करने पर यही कहना पड़ता है की "इससे अच्छा तो इसका बाप ही था". ये सारे मैक्यावेलियन चरीत्र मंच से लफ्फाजी करते हैं और पीछे अम्बानी अदानी और वालमार्ट की दलाली. बाकी रचना आनंद की पोस्ट पर मेरा कमेन्ट यहाँ जोड़ लो. होनहार विवान के होत चीकने पात. २ महीने में ही मुल्क बेचने की हडबडी कर दिया है. अब तक तो लगता है की मोदियाने का मजाक कर रहे हो लेकिन कोदियापे के कुछ लक्षण तो दिखने लगे हैं. हा हा
मैंने कलकत्ता में २००७ में नंदीग्राम पर सम्मलेन में मैंने कहा था कि बुद्धादेब वैसे ही कम्युनिस्ट हैं जैसे मुलायम सोसलिस्ट. लेकिन यहाँ उनकी बात कहाँ से आ गयी? यहाँ तो बात मोदी के युग्द्रष्टा होने की और अभूतपूर्व भाषण की हो रही थी, जो एक सस्ती लफ्फाजी थी.
मैंने कलकत्ता में २००७ में नंदीग्राम पर सम्मलेन में मैंने कहा था कि बुद्धादेब वैसे ही कम्युनिस्ट हैं जैसे मुलायम सोसलिस्ट. लेकिन यहाँ उनकी बात कहाँ से आ गयी? यहाँ तो बात मोदी के युग्द्रष्टा होने की और अभूतपूर्व भाषण की हो रही थी, जो एक सस्ती लफ्फाजी थी.
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