चिंतनमुक्त मुक्तचिंतक
होते हैं जो मुक्त चिंतन से कहलाते हैं मुक्त चिंतक
करते हैं जो दावा विचारधारा से मुक्ति का होते हैं बिन पेंदे के लोटे
तोते हैं शासक विचारों के, देते हैं दर्जा वस्तुनिष्ठ सच्चाई का अनभिज्ञ ज्ञान-प्रक्रिया की निरंतरता से चिल्लाते हैं विचारधारा का अंत
है इनका शोषण में नगण्य सहभाग पालते हैं वहम शासक का
डरते हैं परिवर्तन के गतिविज्ञान से अलापते हैं इतिहास का अंत
करते हैं मुनादी समाजवाद की असफलता की, त्रस्त हैं मगर मार्क्स के भूत से
जब भी होती है सचमुच की आज़ादी बात अभुआने लगते हैं मार्क्स्वाद मार्क्स्वाद.
इस धरा के चिंतन-मुक्त मुक्तचिंतकों को प्रणाम, शत-शत प्रणाम कोटिक प्रणाम.
(ईमिः25.08.2014)
होते हैं जो मुक्त चिंतन से कहलाते हैं मुक्त चिंतक
करते हैं जो दावा विचारधारा से मुक्ति का होते हैं बिन पेंदे के लोटे
तोते हैं शासक विचारों के, देते हैं दर्जा वस्तुनिष्ठ सच्चाई का अनभिज्ञ ज्ञान-प्रक्रिया की निरंतरता से चिल्लाते हैं विचारधारा का अंत
है इनका शोषण में नगण्य सहभाग पालते हैं वहम शासक का
डरते हैं परिवर्तन के गतिविज्ञान से अलापते हैं इतिहास का अंत
करते हैं मुनादी समाजवाद की असफलता की, त्रस्त हैं मगर मार्क्स के भूत से
जब भी होती है सचमुच की आज़ादी बात अभुआने लगते हैं मार्क्स्वाद मार्क्स्वाद.
इस धरा के चिंतन-मुक्त मुक्तचिंतकों को प्रणाम, शत-शत प्रणाम कोटिक प्रणाम.
(ईमिः25.08.2014)
प्रणाम ।
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