मैंने यह पोस्ट तो भुत पहले देख लिया था लेकिन मेरी रुच का विषय न होने से इस पर टिप्पणी करने से बचता रहा. मैंने इलाहाब के अन्य मंच पर इकबाल किया था की मैं एक कट्टर कर्मकांडी परिवार में गीता और रामचरित मानस का जप करते हुए पला बढ़ा.अन्तःसंघर्षों की लम्बी यात्रा के चलते एक प्रामाणिक नास्तिक बन गया जो भगवान् और भूत दोनों को धर्मभीरु मनुष्य की कल्पना मात्र मानता है. प्राच्य-शास्त्र के विद्वानों का मानना है की गीता महाभारत पर विलंबित प्रक्षेपण है. जब भगवान की अवधारणा ही काल्पनिक है तो उसका अवतार कहाँ से होगा.गीता का उपदेश एक फासीवादी मैनुएल है जिसमे सोचने का अधिकार "ज्ञानियों" के पास है बाकी लोग सिर्फ आज्ञापालन करें, चाहे अपने परिजानों की ह्त्या ही क्यों न करना पड़े. सेना और पुलिस के हमारे जवान वही तो करते हैं. उन्ही दिमाग को ताख पर रखने का प्रशिक्षण मिलता है, गीता की तर्ज़ पर. कांगेस विधायक-दल का नेता कौन होगा यह सोचनी का काम सोनिया गांधी का है या भाजपा विधायक दल के नेता बारे में सोचने का कम नागपुर का है. विधायक गीता के उपदेश अनुसार चिंतन-शक्ति से वंचित महसूस करते
हुए अपने कर्म करते हैं. समय के अनुसार कैसे कोइ साईं या कृष्ण भगवान् बना दिया जाता है.....
मिथक भी अपने समय का आइना होता है. मिथक से इतिहास समझने के लिए उसे रहस्य-मुक्त करना पडेगा. एक अक्षौणी को एक करों माने तो दिल्ली की १०० मील की परिधि में अरबों सैनिक थे तो पूरे इलाके की आबादी क्या रही होगी? अतिरंजना और नीयत की समीक्षा का ध्यान रखा जाय तो महाभारत महाकाव्य के जरिये उस समय का इतिहास समझा जा सकता है जब समतावादी सामुदायिक जीवन राज्य की स्थापना के साथ श्रेणीबद्ध समाज का रूप ले रहा था. लिंगाधारित भेदभाव शुरू हो रहे थे और वर्नाश्रमी मर्दवाद की विचारधारा असमानताओं को छिपाने के लिए गढ़ी जा रही थी. इस नई व्यवस्था को औचित्य प्रदान करने के लिए गीता का
.प्रक्षेपण हुआ
कौटल्य अपने कालजयी ग्रन्थ "अर्थशास्त्र" में विजीगीशु( विजय्कामी) राजा को चाहिए कि किसी अभियान पर निकलने के पहले देवताओं और दानवों की वन्दना कर लेनी चाहिए. देवताओं में वे ऋग्वैदिक प्राकृतिक देवताओं की गणना करते हैं और कंस और कृष्ण को एक साथ दानवों की कोटि में रखते हैं. उन्ही का समकालीन मेगास्थनीज कृष्ण का सूरसेन(मथुरा) क्षेत्र के एक किम्वदंतीय स्थानीय नायक के रूप में करता है. यानि चौथी-तीसरी ईशा पूर्व तक कृष्ण भगवान् क्या एक आर्य नायक भी नहीं थे. कृष्ण तो जोर-शोर से चैतन्य महाप्रभु के जरिये भगवान् बने.
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