हिन्दुस्तान में १८५७ के किसान विद्रोह में शामिल अंगरेजी फौज के हिन्दुस्तानी सिपाही, फ़र्ज़ निभा रहे थे या गद्दारी कर रहे थे? होलकर/सिंधिया/निजाम जैसे हिन्दुस्तानी सामंटन की सेना अंग्रेजों की कुत्तागेरी करने न पहुंचते तो अंग्रेज १८५७ में भाग गए होते, जुनके वंशज साम्राज्यवाद की दलाली करते हुए सत्ता पार्टियों में मौजूद हैं, वे राजभक्त थे या देशद्रोही? एक नागरिक की ह्त्या करने वाले नक्सल हमले पर अलग बात हो सकती है उससे विषयांतर होगा लेकिन हजारों आदिवासियों का बलात्कार और ह्त्या करने वाले पुलिस वाले और सलवाजुडूम किस्म के निजी गिरोह फर्ज अदायगी करते हैं या अपराध. एक आदिवासी या करमा जैसे माफिया की मौत पार आंसू बहाने वालों का दिल क्या तब भी पसीजता है जब कलिंगनगर के शान्तिपोर्न प्रदर्शनकारियों पर जालिआवाला बाग़ करके १६ आदिव्वासियों की नृशंस ह्त्या हो जाती है? गोली चलाने वाले वर्दीधारी और टाटा की दलाली में गोली चलाने का आदेश देने वाले एसपी और डीएम कर्त्तव्य निभा रहे थे या अपराध कर रहे थे? कितने लोगों की आँखों से आंसू छलके थे जब अरवल में निहत्थे किसानो की शांतिपूर्ण सभा को चारों और से घेर कर दर्जनों किसानों को भून दिया था. गोलीबारी कराने वाला डायर का वंशज फर्ज निभा रहा था या अपराध कर रहा था? शासक वर्ग और शासक दल का फर्क मैं एक विस्तृत लेख में समझाऊंगा.
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